ईरानी संसद ने दी होर्मुज खाड़ी को बंद करने की मंजूरी, दुनिया भर में मचा हड़कंप, जानें क्या भारत की बढ़ेगी टेंशन
Edited By Pardeep,Updated: 23 Jun, 2025 06:02 AM

ईरान की संसद ने अपने तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के बाद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दे दी है।
इंटरनेशनल डेस्कः ईरान की संसद ने अपने तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के बाद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दे दी है। ईरान की सरकारी मीडिया ने रविवार को यह जानकारी दी। ईरानी संसद की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्य मेजर जनरल कोवसारी ने कहा कि ईरान के शीर्ष सुरक्षा प्राधिकरण, सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को इस निर्णय को अंतिम रूप देना आवश्यक है।
होर्मुज स्ट्रेट क्या है?
-
यह एक संकरा जलप्र passage है जो फ़ारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है, ईरान के उत्तरी तट और ओमान/यूएई के दक्षिण से।
-
इसकी लंबाई करीब 167 किमी है, और सबसे संकरे हिस्से में यह सिर्फ 33 किमी चौड़ा है।
अंतरराष्ट्रीय महत्व
-
यह तेल टैंकरों के लिए मुख्य मार्ग है—दुनिया का लगभग 20‑30% कच्चा तेल और 1/3 LPG यहीं से गुजरता है।
-
ओपेक देशों (सऊदी, UAE, कुवैत, ईरान, इराक) को यह उनका मुख्य निर्यात मार्ग बनाता है।
अगर यह बंद हो जाए तो क्या असर होगा?
-
तेल की आपूर्ति में गिरावट – वैश्विक स्तर पर भारी संकट
-
तेल की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोतरी – घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई होगी
-
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता – व्यापार और उद्योग प्रभावित होंगे
भारत पर क्या होगा असर?
-
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और चौथा बड़ा गैस खरीदार है। उसका काफी संसाधन रास्तों पर निर्भर है, जिसमें होर्मुज महत्वपूर्ण है।
-
नेता हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत ने आपूर्तियों में विविधता फैलाई है और होर्मुज से 100% नहीं आता।
-
उन्होंने कहा है कि भारत के पास कई हफ्तों का तेल और गैस स्टॉक बचा हुआ है और जरूरत पड़ने पर वैकल्पिक रास्तों से आपूर्ति की जाएगी।
वैकल्पिक व्यवस्था
-
यूएई और सऊदी अरब जैसे देश पाइपलाइनों के माध्यम से होर्मुज को बाइपास करना चाहते हैं।
-
अमेरिका के अनुसार, यूएई और सऊदी में करीब 2.6 मिलियन बैरल/दिन की पाइपलाइन क्षमता होर्मुज को छोड़कर भी उपलब्ध है।
कानूनी और सैन्य चुनौतियां
-
कानूनी रूप से, ईरान नावबंदी नहीं कर सकता। अगर उसने ऐसा किया तो इसे अमेरिका की नौसेना और गठबंधन का सामना करना पड़ेगा।
-
यह कदम तेहरान को खुद प्रभावित करेगा, क्योंकि इसके खुद के निर्यात भी होर्मुज पर निर्भर हैं।
-
चीन, जो ईरानी तेल का बड़ा खरीदार है, इससे परेशान होगा। इसकी वजह से चीन ने पहले भी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल रिज़ल्यूशंस का विरोध किया था।
कुल मिलाकर परिणाम
| पहलू |
संभावित असर |
| वैश्विक तेल आपूर्ति |
कम, कीमतें बढ़ेंगी |
| भारत |
असर महसूस होगा, लेकिन तैयारियां पूरी |
| बाजार स्थिरता |
लघु अवधि में नहीं |
| जीडीपी, महंगाई |
हिल सकते हैं खासकर विकासशील देशों में |
| सैन्य तनाव |
बढ़ेगा, क्षेत्र में उथल-पुथल |
| अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया |
संयुक्त राष्ट्र, पश्चिमी नौसेना, क्षेत्रीय साझेदार तैयार |
Related Story

पुतिन की भारत यात्रा से खुश हुआ चीन, पुतिन के बयान पर दी प्रतिक्रिया, कहा- यह त्रि गठजोड़ दुनिया के...

AI ‘स्मार्ट खिलौने’ बने खतरा ! बच्चों को सिखा रहे सेक्स और कम्युनिज़्म ! चीन के कनेक्शन से बढ़ी...

यहां खूबसूरत महिलाओं को नहीं मिल रहे पति ! मजबूरी में किराए पर बुला रहीं हसबैंड, जानें क्यों बढ़...

अमेरिका का नया शिकारः ट्रंप ने रूस के बाद अब इस देश की तेल सप्लाई रोकी, जानें भारत पर पड़ेगा क्या...

आरएसएफ का आतंक: स्कूल और अस्पताल पर हुए मिसाइल से हमले, 79 की दर्दनाक मौत से मचा हड़कंप

Plane Crash Landing: हाईवे पर उतरा छोटा विमान, टॉयोटा कार से टकराया एयरक्राफ्ट, मचा हड़कंप

एपस्टीन के महल से मिली आपत्तिजनक तस्वीरें; ट्रंप, क्लिंटन समेत कई बड़े नाम शामिल, US राजनीति में...

PIA फ्लाइट में अचानक गिरे ऑक्सीजन मास्क, 381 यात्रियों में मचा हड़कंप! सऊदी में करवानी पड़ी...

Video: प्रदर्शनी में बच्चे की शरारत ने कर दिया करोड़ों का नुकसान! मच गया हड़कंप, भरपाई को लेकर...

NASA Astronaut ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की खुलकर तारीफ की, बोले- दुनिया भारत की Space Power...