देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे जस्टिस एनवी रमणा, राष्ट्रपति कोविंद ने लगाई मुहर

Edited By vasudha,Updated: 06 Apr, 2021 11:19 AM

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: जस्टिस एनवी रमन्ना देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके नाम को मंजूरी दे दी है। भारत के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने अपने उत्तराधिकारी और देश के 48वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम...

नेशनल डेस्क: जस्टिस एनवी रमन्ना  देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने  उनके नाम को मंजूरी दे दी है। भारत के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने अपने उत्तराधिकारी और देश के 48वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमणा के नाम की सिफारिश की थी।

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23 अप्रैल को रिटायर को  रिटायर हो रहे हैं एसए बोबडे
मौजूदा सीजेआई एसए बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। माना जा रहा है क जस्टिस रमन्ना 24 अप्रैल को सीजेआई पद की शपथ लेंगे, उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक रहेगा। नियमों के मुताबिक, मौजूदा सीजेआई अपनी सेवानिवृत्ति के एक महीने पहले, अपने उत्तराधिकारी को लेकर एक सिफारिश भेजते हैं। इसके बाद सरकार  सिफारिश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजती है।

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2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त हुए थे रमणा
जस्टिस एनवी रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को एक आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। ​रमणा ने 10 फरवरी 1983 को वकील के तौर पर पंजीकरण कराया था। वह 27 जून 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए और उन्होंने 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम किया। न्यायाधीश रमणा को दो सितंबर 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया और 17 फरवरी 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

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मुख्यमंत्री रेड्डी ने की थी शिकायत
मुख्यमंत्री रेड्डी की न्यायमूर्ति रमणा के खिलाफ शिकायत को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले की जानकारी अदालत की वेबसाइट पर जारी एक बयान के माध्यम से दी गई। बयान में कहा गया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा छह अक्टूबर 2020 को उच्चतम न्यायालय में एक शिकायत भेजी गई जिस पर आंतरिक प्रक्रिया के तहत गौर किया गया और उचित विमर्श के बाद उसे खारिज कर दिया गया। यह दर्ज किया जाए कि आंतरिक प्रक्रिया के तहत निपटाए जाने वाले मामले बेहद गोपनीय प्रकृति के होते हैं और उन्हें सार्वजनिक किये जाने की जरूरत नहीं हैं।

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रमणा पर सरकार के कामकाज पर दखल देने का आरोप
एक अभूतपूर्व कदम के तहत रेड्डी ने छह अक्टूबर को सीजेआई बोबडे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कामकाज में दखल दे रहे हैं और तेलुगु देशम पार्टी और उसके मुखिया चंद्रबाबू नायडु के हितों में काम कर रहे हैं। रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का इस्तेमाल “लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई उनकी सरकार को अस्थिर करने और गिराने” के लिये किया जा रहा है। रेड्डी ने सीजेआई से इस मामले को देखकर विचार करने तथा “प्रदेश की न्यायपालिका की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये जो भी उचित व उपयुक्त लगे”, वैसा कदम उठाने का अनुरोध किया था। बाद में मुख्यमंत्री के इस पत्र को आंध्र प्रदेश के अमरावती में पिछले साल 10 अक्टूबर को उनके प्रधान सलाहकार अजय कल्लम ने मीडिया को भी जारी किया था।

 

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