Edited By rajesh kumar,Updated: 18 Mar, 2023 06:03 PM
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महाराष्ट्र के नासिक जिले से पैदल ही मुंबई की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारी किसानों एवं आदिवासियों ने शनिवार को अपनी पदयात्रा खत्म करने की घोषणा की है।
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के नासिक जिले से पैदल ही मुंबई की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारी किसानों एवं आदिवासियों ने शनिवार को अपनी पदयात्रा खत्म करने की घोषणा की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक विनोद निकाले ने कहा कि किसानों की सभी मांगों पर विधानमंडल में विचार किया गया तथा जमीनी स्तर के अधिकारियों को सरकारी आदेशों के क्रियान्वयन का आदेश मिल गया है जिसकी बाद पदयात्रा समाप्त करने की घोषणा की गई।
हम अपनी पदयात्रा वापस ले रहे
नासिक जिले के डिंडोरी से किसानों एवं आदिवासियों ने अपनी मांगों के समर्थन में पिछले रविवार को अपनी पदयात्रा शुरू की थी। उनकी मांगों में प्याज किसानों को 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से राहत, किसानों को 12 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति तथा कृषि ऋण की माफी शामिल हैं। ये प्रदर्शनकारी ठाणे जिले के वासिंद शहर पहुंच चुके थे जो मुंबई से करीब 80 किलोमीटर दूर है। डिंडोरी मुंबई से 195 किलोमीटर दूर है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में कहा था कि प्याज किसानों को 350 रुपये प्रति क्विंटल वित्तीय राहत दी जाएगी। उन्होंने उनसे आंदोलन वापस लेने की अपील की थी। निकोले ने कहा, ‘‘हमारी मांगें मान ली गयी हैं। किसानों की सभी मांगों पर विधानंडल में विचार किया गया तथा जिलाधिकारियों एवं तहसीलदारों को आदेश जारी किये गये हैं। हमारे पास अपने कार्यकर्ताओं से कॉल आ रहे हैं कि (सरकारी आदेश पर क्रियान्वयन का) काम शुरू हो गया है। इसलिए हमने मार्च वापस लेने का फैसला किया है।'' उन्होंने कहा कि पदयात्रा में शामिल लोग घर लौटने लगे हैं और बाकी शनिवार शाम या रविवार तक चले जायेंगे।
पदयात्रा में शामिल 58 वर्षीय व्यक्ति की मौत
बता दें कि, 58 वर्षीय एक प्रदर्शनकारी की शुक्रवार को मृत्यु हो गयी। पुंडालिक अंबो जाधव नामक यह व्यक्ति नासिक में डिंडोरी के समीप एक गांव का निवासी था। एक अधिकारी ने शनिवार को कहा, ‘‘ रात करीब आठ बजे खाना खाने के बाद जाधव को उल्टी आयी और उसे बेचैनी महसूस होने लगी। उसे शाहपुर अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। '' महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को अधिकतर मांगों को स्वीकार कर ली थी। मुख्यमंत्री शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, मंत्रियों एवं शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने इस मुद्दे के समाधान के लिए किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी।