Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Dec, 2025 01:01 PM

मोटापा घटाने वाली दवाओं के बाजार में एक बड़ी 'क्रांति' दस्तक दे रही है। साल 2026 भारतीय फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए इतिहास रचने वाला साल साबित हो सकता है। वजह है- Semaglutide (सेमाग्लूटाइड) दवा के पेटेंट का खत्म होना। जैसे ही इस दवा पर से कानूनी...
नेशनल डेस्क: मोटापा घटाने वाली दवाओं के बाजार में एक बड़ी 'क्रांति' दस्तक दे रही है। साल 2026 भारतीय फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए इतिहास रचने वाला साल साबित हो सकता है। वजह है- Semaglutide (सेमाग्लूटाइड) दवा के पेटेंट का खत्म होना। जैसे ही इस दवा पर से कानूनी बंदिशें हटेंगी, भारतीय दवा कंपनियों के लिए नोट छापने की मशीन शुरू हो जाएगी।
2025 की सफलता की झलक
पिछले साल भारतीय बाजार में पहली बार तीन बड़ी ग्लोबल दवाएं आईं: Mounjaro, Wegovy और Ozempic। इनमें से Mounjaro ने सबसे ज्यादा तहलका मचाया। लॉन्च के केवल 7 महीनों में इसने करीब ₹496 करोड़ की बिक्री की और भारत की टॉप‑सेलिंग दवा बन गई। वहीं, Wegovy की बिक्री नवंबर 2025 तक ₹50 करोड़ रही, लेकिन कीमतों में कटौती के बाद वॉल्यूम में 70% उछाल देखने को मिला। Ozempic दिसंबर में लॉन्च हुई, इसलिए इसके शुरुआती आंकड़े अभी सामने नहीं हैं।
2026 की असली कहानी: Semaglutide
Semaglutide वह दवा है जो 2026 में भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए खेल का पूरा नियम बदल सकती है। इसका पेटेंट कई बड़े बाजारों में खत्म हो रहा है — भारत, कनाडा, ब्राजील, चीन और तुर्की जैसे देश। इन देशों में मोटापे की समस्या से जूझ रहे वयस्क आबादी का लगभग 33% हिस्सा आता है।
पहला पेटेंट एक्सपायरी 4 जनवरी 2026 को कनाडा में है, जबकि भारत और ब्राजील में मार्च 2026 तक खत्म होने की उम्मीद है। पेटेंट खत्म होते ही जेनेरिक दवाओं की एंट्री शुरू होगी और यही वह मौका है जब भारतीय कंपनियां बड़े पैमाने पर कमाई कर सकती हैं।
भारतीय कंपनियां पहले से तैयार
भारतीय कंपनियां पहले से मैदान में उतर चुकी हैं। उदाहरण के लिए:
-Cipla ने Eli Lilly की Tirzepatide को Yurpeak ब्रांड से लॉन्च किया।
-Emcure ने Novo Nordisk की Semaglutide को Poviztra ब्रांड से उतारा।
-Dr Reddy’s, Sun Pharma और OneSource को दिल्ली हाई कोर्ट से उन बाजारों में Semaglutide बनाने और एक्सपोर्ट करने की अनुमति मिली है, जहां पेटेंट लागू नहीं होता।
भारत में बड़ा अवसर
Semaglutide का पेटेंट खत्म होते ही भारत में 10–15 कंपनियां बाजार में उतर सकती हैं। मौजूदा इनोवेटर दवाएं ₹8,000–10,000 प्रति माह में आती हैं, लेकिन जेनेरिक आने के बाद कीमतें लगभग ₹4,000 प्रति माह तक गिर सकती हैं। इसका मतलब है कि दवा ज्यादा सस्ती होगी और मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।
विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले सालों में Semaglutide भारत के कुल फार्मा बाजार का 4–5% हिस्सा बन सकती है और इंडस्ट्री की ग्रोथ में 1–2% का अतिरिक्त योगदान दे सकती है। दुनिया भर में GLP‑1 दवाओं का बाजार 2025 में लगभग $64 अरब था। 2033 तक यह $170 अरब से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में भारतीय कंपनियों के लिए यह सिर्फ कमाई का अवसर नहीं, बल्कि वैश्विक पहचान और ग्रोथ का मौका भी है।