26/11 से पहले 2 बार नाकाम रही थी मुंबई पर हमले की साजिशें

Edited By Anil dev,Updated: 27 Nov, 2021 02:33 PM

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मुंबई के 26/11 आतंकी हमले को 9 साल हो चुके हैं। इसकी साजिश डेविड हेडली ने रची थी। डेविड हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी है।

नेशनल डेस्क: मुंबई के 26/11 आतंकी हमले को 9 साल हो चुके हैं। इसकी साजिश डेविड हेडली ने रची थी। डेविड हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी है। मुंबई अटैक से पहले हाफिज सईद, साजिद मीर, आईएसआई के कहने पर दाऊद सईद गिलानी का नाम बदलकर डेविड हेडली कर दिया गया था ताकि हेडली के पाकिस्तानी होने का किसी को शक न हो।  अमेरिकी अदालत में हेडली ने बताया था कि 26/11 से पहले मुंबई पर हमले की दो कोशिशें नाकाम रही थीं। पहली कोशिश सितंबर 2008 में की गई, लेकिन नाव समंदर में चट्टान से टकराने पर पलट गई थी। सारे हथियार गुम हो गए थे, हालांकि नाव में सवार लोग बच गए थे। हमले की दूसरी कोशिश अक्टूबर 2008 में की गई थी।

अमरीकी कोर्ट ने सुनाई है आरोपी को 35 साल की सजा
लश्कर-ए-तैयबा का ये जासूस एक अमेरिकी आतंकवादी है और मूल रूप से पाकिस्तान का रहने वाला है। 24 जनवरी, 2013 को एक अमेरिकी अदालत ने उसे मुंबई हमलों के चलते 35 साल की जेल की सजा सुनाई थी। अमेरिकी अदालत में हेडली की गवाही के अनुसार, उसे आईएसआई द्वारा खुफिया जानकारी एकत्र करने की तकनीक में प्रशिक्षित किया गया था। उन्हें पाकिस्तानी प्रायोजकों से मिले 29,500 डॉलर में से 28,500 डॉलर एक सेवारत आईएसआई अधिकारी से मिले।

पाकिस्तानी मेजर इकबाल भी है अमरीका का आरोपी
अमेरिकी अदालत के दस्तावेजों में मेजर इकबाल के रूप में पहचाने जाने वाला यह अधिकारी आतंकवाद के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा आरोपित होने वाला पहला पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव बन गया। बाकी पैसा हेडली के पास साजिद मजीद नामक लश्कर-ए-तैयबा के एक गुर्गे से आया था, जिसे अक्सर अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में 'साजिद मीर' कहा जाता है। मजीद लश्कर के बाहरी अभियान विभाग का उप प्रमुख था और दुनिया भर में जिहादियों को देखता था। हेडली ने कहा कि मुंबई ऑपरेशन का समन्वय मजीद ने किया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुंबई पर हमला करने वाले दस बंदूकधारियों को पाकिस्तानी सेना के विशेष बलों के पूर्व सदस्यों द्वारा प्रशिक्षित किया गया था।

मुंबई की स्पैशल कोर्ट में भी हुई थी हेडली की पेशी
8 फरवरी 2016 को शिकागो की जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हेडली (मूल नाम दाऊद गिलानी) की मुंबई की स्पेशल कोर्ट में पेशी हुई थी। ये पहली बार हुआ था कि किसी विदेशी जेल में बंद आतंकी की भारतीय अदालत में पेशी हुई हो। हेडली ने इस दौरान कहा था कि  मैं पक्का लश्कर सपोर्टर था। वह चाहता था कि वह भारत में अपना कोई बिजनेस या ऑफिस शुरू करे। वह भारत में अमेरिकी नाम से दाखिल होना चाहता था, इसलिए उसने अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर हेडली रख लिया था। नया पासपोर्ट बनने के बाद वह भारत 8 बार बार आया था। 8 में 7 बार वह मुंबई गया था। मुंबई हमले के बाद वह 7 मार्च 2009 को एक बार लाहौर से मुंबई गया था। हेडली ने खुलासा किया था कि पासपोर्ट में बर्थ डेट, मां की नागरिकता और पासपोर्ट नंबर के अलावा मेरी वीजा एप्लीकेशन में सब गलत भरा गया था।

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