Edited By Pardeep,Updated: 03 Jul, 2025 10:00 PM

हिमाचल प्रदेश इस समय अपने सबसे भीषण प्राकृतिक संकटों में से एक से गुजर रहा है। 20 जून से शुरू हुई भारी बारिश, बादल फटना, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने राज्य के जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 37 लोग अब...
नेशनल डेस्कः हिमाचल प्रदेश इस समय अपने सबसे भीषण प्राकृतिक संकटों में से एक से गुजर रहा है। 20 जून से शुरू हुई भारी बारिश, बादल फटना, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने राज्य के जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 37 लोग अब भी लापता हैं। आपदा प्रबंधन टीमें लापता लोगों की तलाश में दिन-रात जुटी हुई हैं।
मंडी बना सबसे ज्यादा प्रभावित ज़िला
मंडी जिले में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं। गुरुवार को दो और शव बरामद किए गए, जिससे जिले में मृतकों की संख्या 13 हो गई है। अभी भी 29 लोग लापता हैं। मंडी में 10 स्थानों पर बादल फटने, तीन बार अचानक बाढ़ आने और एक स्थान पर भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
जान-माल का भारी नुकसान
राज्य आपातकालीन अभियान केंद्र (SEOC) के अनुसार आपदा में:
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150 से अधिक घर पूरी तरह बह चुके हैं
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104 मवेशी शेड, 31 वाहन, 14 पुल क्षतिग्रस्त
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162 मवेशियों की मौत
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261 सड़कें यातायात के लिए बंद, जिनमें 186 सड़कें मंडी जिले में ही हैं
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599 ट्रांसफॉर्मर और 797 जलापूर्ति योजनाएं बाधित
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500 करोड़ रुपये से अधिक का अनुमानित नुकसान
बचाव और राहत कार्य जारी
राज्य सरकार की ओर से राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं। 316 लोगों को मंडी में सुरक्षित बचाया गया है। पूरे राज्य में 5 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। सेना, बीआरओ और अन्य एजेंसियां सड़कों को बहाल करने और फंसे लोगों को निकालने में लगी हुई हैं।
मनाली-केलांग मार्ग पर यातायात ठप हो गया है, जिसे रोहतांग दर्रे से डायवर्ट किया गया है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की टीमें मलबा हटाने में जुटी हुई हैं।
मुख्यमंत्री और विपक्ष का दौरा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने अपने घर खो दिए हैं, उन्हें सरकार पास की सरकारी जमीन पर पुनर्वासित करने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और हर संभव मदद सुनिश्चित की जा रही है।