GST घटा लेकिन फिर भी कंडोम नहीं हुआ सस्ता, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

Edited By Updated: 06 Sep, 2025 12:00 PM

new gst rates implemented but there is no change in the price of condoms

केंद्र सरकार ने बुधवार को जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव करते हुए जनता को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद यह जानकारी दी कि 12% और 28% जीएसटी स्लैब में आने वाली कई चीजों पर अब कम टैक्स लगेगा लेकिन इस...

नेशनल डेस्क। केंद्र सरकार ने बुधवार को जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव करते हुए जनता को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद यह जानकारी दी कि 12% और 28% जीएसटी स्लैब में आने वाली कई चीजों पर अब कम टैक्स लगेगा लेकिन इस बदलाव के बाद भी एक चीज सस्ती नहीं हुई है और वो है कंडोम। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों जीएसटी में बदलाव का कंडोम की कीमत पर कोई असर नहीं पड़ा।

कंडोम पर पहले से ही 0% टैक्स

दरअसल कंडोम पहले से ही जीएसटी के तहत 0% टैक्स स्लैब में आते हैं। इसका मतलब यह है कि सरकार इन पर कोई टैक्स नहीं लगाती। भारत सरकार ने स्वास्थ्य और जनकल्याण को ध्यान में रखते हुए कंडोम को पहले ही टैक्स-फ्री श्रेणी में रखा हुआ है। इसका मकसद सुरक्षित यौन संबंध को बढ़ावा देना और परिवार नियोजन के साधनों को आम जनता के लिए सुलभ बनाना है। इसलिए जब किसी चीज पर पहले से ही टैक्स नहीं लगता तो उसकी कीमत में जीएसटी की वजह से कोई बदलाव नहीं हो सकता।

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आखिर क्यों महंगे होते हैं कंडोम?

अगर कंडोम पर टैक्स नहीं लगता तो फिर भी यह कई बार हमें महंगे क्यों लगते हैं? इसके पीछे कुछ और कारण हैं:

आयात शुल्क: भारत में कंडोम का एक बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात किया जाता है। आयात शुल्क, लॉजिस्टिक्स और कस्टम क्लियरेंस जैसी प्रक्रियाएं इनकी कीमत बढ़ा देती हैं।

रिसर्च और क्वालिटी: कंडोम बनाने वाली कंपनियां रिसर्च, क्वालिटी चेक, पैकेजिंग और सुरक्षित डिलीवरी पर काफी पैसा खर्च करती हैं। यह लागत भी कीमत को बढ़ाती है।

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मार्केटिंग और विज्ञापन: बड़े ब्रांड अपने उत्पादों के विज्ञापन और प्रचार पर भारी रकम खर्च करते हैं जिसकी भरपाई ग्राहकों से ही की जाती है।

प्रीमियम प्रोडक्ट्स: बाजार में अलग-अलग ब्रांड और क्वालिटी के कंडोम उपलब्ध हैं। प्रीमियम या खास तरह के प्रोडक्ट्स की कीमत ज्यादा होती है जिससे औसत कीमत भी ज्यादा लगती है।

अगर कंडोम और भी किफायती हों तो इससे सुरक्षित यौन संबंध और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर काफी सकारात्मक असर पड़ सकता है। 

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