राष्ट्रपति से मिलने के बाद विपक्षी दलों ने कहा, रद्द हो कृषि कानून

Edited By rajesh kumar,Updated: 09 Dec, 2020 05:50 PM

opposition in readiness to surround government on agricultural laws

केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन के बीच बुधवार को राहुल गांधी, शरद पवार समेत पांच विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्षी नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीन कृषि कानूनों को...

नेशनल डेस्क: केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन के बीच बुधवार को राहुल गांधी, शरद पवार समेत पांच विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्षी नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की बातों को समझे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, 'हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें तीन कृषि कानूनों के संबंध में हमारे विचारों से अवगत कराया। हमने इन्हें निरस्त किए जाने का अनुरोध किया। हमने राष्ट्रपति को बताया कि इन कानूनों को वापस लिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है।' उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से ये कानून संसद में पारित किए गए उससे हमें लगता है कि यह किसानों का अपमान है, इसलिए वे ठंड के मौसम में भी प्रदर्शन कर रहे हैं।' कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि नए कानूनों का मकसद कृषि क्षेत्र को प्रधानमंत्री के मित्रों''को सौंपना है लेकिन किसान भयभीत नहीं हैं और पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपना शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे।

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति से अुनरोध किया कि ये कृषि कानून निरस्त किए जाने चाहिए क्योंकि इन पर ना ही संसद की प्रवर समिति में चर्चा की गई और ना ही अन्य पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया गया। येचुरी ने कहा, 'हमने राष्ट्रपति को बताया कि तीन कृषि कानून अलोकतांत्रिक तरीके से संसद में पारित किए गए और कानूनों को वापस लिए जाने का अनुरोध किया।' कोविड-19 परिस्थितियों के चलते विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में केवल पांच सदस्य ही शामिल रहे। सितंबर में बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। सरकार का कहना है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था और मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे वे कॉरपोरेट की दया पर निर्भर रह जाएंगे।
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी. राजा ने कहा कि सरकार जिस तरह से किसानों के साथ पेश आ रही है और उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है, उसे देखते हुए विपक्ष के नेता शांत नहीं रह सकते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से इसी कारण मुलाकात करने का निर्णय लिया और राष्ट्रपति ने उनकी बात को ध्यान से सुना है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि विपक्ष के सभी नेताओं ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वह किसानों के हित में उन तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार को कहें। राष्ट्रपति से मिलने गए द्रविड़ मुनेत्र कषगम के नेता टीकेएस इलांगोवन ने कहा कि किसान सरकार के रवैये से निराश होकर धरना पर बैठे हैं और इन तीनों कानून को वापस लिए जाने की मांग कर रहे है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा डीएमके प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा है।
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गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों की अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पाई है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी मंगलवार को किसान संगठनों के 13 नेताओं से बातचीत की थी, लेकिन उसमें भी कोई हल नहीं निकल पाया था। उसके बाद बुधवार को सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली छठे दौर की वार्ता रद्द कर दी गई थी।

 

 

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