अजमेर शरीफ दरगाह: क्यों हर साल PMO भेजता है चादर? जानें क्या है इसके पीछे का इतिहास

Edited By Updated: 23 Dec, 2025 04:44 PM

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अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के सालाना उर्स पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा दशकों से जारी है। नेहरू से लेकर मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों ने यह परंपरा निभाई। इस बार हिंदू सेना ने इसे सुप्रीम कोर्ट में रोकने की अपील की...

नेशनल डेस्क : अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के सालाना उर्स पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा लगातार चादर चढ़ाने की परंपरा लंबे समय से चल रही है। यह चादर विशेष रूप से दरगाह के लिए बनाई जाती है और हर साल उसके अवसर पर वहां पेश की जाती है। यह परंपरा दशकों से जारी है और नेहरू से लेकर मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा निभाई जाती रही है। इसके अलावा, राजस्थान के राज्यपाल और मुख्यमंत्री की ओर से भी उर्स के अवसर पर चादर चढ़ाई जाती है। पाकिस्तान और बांग्लादेश सरकारें भी इस अवसर पर अपनी ओर से चादर पेश करती रही हैं।

हालिया विवाद
इस बार इस परंपरा पर विवाद उस समय शुरू हुआ, जब हिंदू सेना ने इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पीएमओ द्वारा सालाना उर्स के मौके पर चादर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग की। उनका तर्क है कि प्रधानमंत्री की ओर से औपचारिक वस्त्र भेंट करना गलत संदेश देगा, क्योंकि अजमेर दरगाह के स्थान पर मूल रूप से संकट मोचन महादेव मंदिर, एक प्राचीन शिव मंदिर, था। यह मामला अजमेर की अदालत में लंबित है और याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मुकदमा लंबित रहते हुए चादर चढ़ाना केस को प्रभावित कर सकता है और यह संविधान की धर्मनिरपेक्षता के भी खिलाफ है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू सेना की मौखिक सुनवाई की मांग को अस्वीकार कर दिया।

पीएमओ द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह में सालाना उर्स पर चादर चढ़ाने की परंपरा स्वतंत्रता के बाद से ही चल रही है। पहली बार यह परंपरा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शुरू की थी। इसके बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सभी प्रधानमंत्रियों ने इसे जारी रखा। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2014 से लगातार हर वर्ष इस परंपरा को निभाया है।

चादर आमतौर पर अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री या उनके प्रतिनिधि के माध्यम से दरगाह पर पेश की जाती है। 2025 के 814वें उर्स में प्रधानमंत्री की ओर से चादर केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने पेश की। उपलब्ध ऐतिहासिक रिकॉर्ड और जानकारी के अनुसार, किसी भी प्रधानमंत्री ने इस परंपरा को रोकने की कोशिश नहीं की। यह परंपरा सद्भाव और एकता का प्रतीक बनी हुई है।

राज्य सरकारों की भूमिका
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरह कुछ राज्य सरकारें, राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और अन्य राजनेता भी उर्स के मौके पर चादर पेश करते हैं। हालांकि, पीएमओ की तरह यह नियमित और संस्थागत रूप से नहीं होती। राजस्थान में दरगाह होने के कारण, वहां के मुख्यमंत्री और राज्यपाल की ओर से भी चादर पेश की जाती है। इस बार तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी की ओर से भी चादर भेजी गई। इसके अलावा, जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने कई बार दिल्ली सरकार की ओर से चादर पेश की थी।

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