Edited By Mehak,Updated: 31 Dec, 2025 03:37 PM

RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के अंत तक देश के बैंकों में बिना क्लेम वाले डिपॉजिट की रकम 62,314 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। यह पैसा 10 साल से अधिक समय से निष्क्रिय खातों में पड़ा है। सबसे ज्यादा अनक्लेम्ड राशि सरकारी बैंकों, खासकर SBI के पास है।...
नेशनल डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश के बैंकों में बिना क्लेम वाले डिपॉजिट की रकम 2024 के अंत तक ₹62,314 करोड़ तक पहुंच गई है। यह पैसा उन खातों में पड़ा है जिनमें पिछले 10 साल या उससे अधिक समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। यानी न जमा हुआ, न निकाला गया और न ही अकाउंट ऑपरेट किया गया।
सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा पैसा
इस रकम का सबसे बड़ा हिस्सा पब्लिक सेक्टर बैंकों के पास है। कुल ₹62,314 करोड़ में से करीब ₹50,900 करोड़ सरकारी बैंकों में जमा है।
SBI के पास सबसे ज्यादा अनक्लेम्ड राशि
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पास अकेले ₹16,968 करोड़ का बिना क्लेम वाला पैसा है। इसके बाद अन्य बड़े सरकारी बैंक आते हैं। पिछले कुछ सालों में यह रकम तेजी से बढ़ी है। साल 2021 में बिना क्लेम वाले डिपॉजिट लगभग ₹31,000 करोड़ थे, जो अब तीन साल में दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं।
बिना क्लेम वाला पैसा वापस कैसे पाएं
अगर आपके या परिवार के किसी सदस्य के नाम पर पुराना बैंक अकाउंट है, तो पैसा वापस पाना मुश्किल नहीं है। खाताधारक, जॉइंट अकाउंट होल्डर, नॉमिनी या कानूनी वारिस कोई भी दावा कर सकता है। इसके लिए सबसे पहले संबंधित बैंक की ब्रांच में जाना होगा और KYC दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, पहचान और पते का सबूत देना होगा। बैंक अकाउंट रिएक्टिवेट करने या बंद कर पैसा निकालने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रकम वापस मिल जाती है।
सरकार का जागरूकता अभियान
सरकार ने लोगों को पुराने खातों और उनके पैसे के बारे में जागरूक करने के लिए 'आपका पैसा, आपका अधिकार' अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य है कि लोग अपने पुराने या भूले-बिसरे बैंक खातों को चेक करें और अपना हक का पैसा वापस लें।
RBI का नियम
RBI के नियमों के अनुसार, अगर किसी बैंक अकाउंट में 10 साल तक कोई गतिविधि नहीं होती और पैसा बिना क्लेम के पड़ा रहता है, तो वह राशि RBI के 'डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में ट्रांसफर कर दी जाती है। लेकिन इसके बाद भी खाताधारक या उसके वारिस का उस पैसे पर पूरा हक बना रहता है।