Solar Storm: धरती की ओर बढ़ रहा सौर तूफान, इंटरनेट, GPS और बिजली सब होंगे ठप, सूरज से आ रही है विनाश की आंधी!

Edited By Updated: 23 May, 2025 08:43 AM

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फिनलैंड की ओउलु यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पुराने पेड़ों की लकड़ी के छल्लों (Tree Rings) की जांच करते हुए इस रहस्यमयी तूफान का पता लगाया। पेड़ों में मौजूद रेडियोकार्बन (Carbon-14) की मात्रा अचानक बहुत ज्यादा पाई गई, जिससे यह साफ हुआ कि उस दौर में...

नेशनल डेस्क:  धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है एक भयानक सौर तूफान, जिसने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। यह तूफान इतना शक्तिशाली हो सकता है कि 14,000 साल पहले आई विनाशकारी अंतरिक्षीय घटना की यादें ताज़ा कर दे। आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, वह पूरी तरह तकनीक पर निर्भर है—मोबाइल, इंटरनेट, सैटेलाइट, बिजली... सब कुछ। लेकिन ज़रा सोचिए, अगर एक ऐसा अंतरिक्षीय तूफान आ जाए जो सब कुछ ठप कर दे, तो क्या होगा? हैरानी की बात ये है कि ऐसा तूफान एक बार धरती पर आ चुका है—वो भी आज से करीब 14,300 साल पहले....

वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली खोज
फिनलैंड की ओउलु यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पुराने पेड़ों की लकड़ी के छल्लों (Tree Rings) की जांच करते हुए इस रहस्यमयी तूफान का पता लगाया। पेड़ों में मौजूद रेडियोकार्बन (Carbon-14) की मात्रा अचानक बहुत ज्यादा पाई गई, जिससे यह साफ हुआ कि उस दौर में सूरज से कोई बेहद ताकतवर ऊर्जा का विस्फोट हुआ था। यह घटना 12,350 ईसा पूर्व की है, और इसका असर इतना व्यापक था कि यह अब तक दर्ज सबसे बड़े सौर तूफान से भी ज्यादा ताकतवर था-यह 2003 के हेलोवीन सौर तूफान से करीब 500 गुना शक्तिशाली था।

सौर तूफान होता क्या है?
जब सूरज से भारी मात्रा में एनर्जी और चार्ज कण (जैसे प्रोटॉन) निकलकर धरती के वायुमंडल से टकराते हैं, तो इसे सौर तूफान कहते हैं। ये कण धरती के चुंबकीय क्षेत्र को हिला देते हैं और रेडियोधर्मी तत्वों में बदलाव लाते हैं, जो लाखों साल बाद भी पेड़ों या बर्फ की परतों में दर्ज रहते हैं।

इतिहास के सबसे बड़े सौर तूफान
वैज्ञानिकों ने कई पुराने सौर तूफानों का अध्ययन किया, जिनमें 994 ईस्वी, 775 ईस्वी, 663 ईसा पूर्व और उससे भी पहले के तूफान शामिल हैं। इनमें से 775 ईस्वी का तूफान अब तक सबसे खतरनाक माना जा रहा था, लेकिन 12,350 ईसा पूर्व वाला तूफान उससे भी 18% ज्यादा घातक था।

अगर आज आता ऐसा तूफान?
आज की तकनीकी दुनिया में इतना शक्तिशाली सौर तूफान आने का मतलब है—इंटरनेट बंद, सैटेलाइट खराब, बिजली ग्रिड फेल, और संचार पूरी तरह ठप। 1859 में आया कैरिंगटन तूफान टेलीग्राफ सिस्टम को जला चुका है, 2003 का हेलोवीन तूफान सैटेलाइट को डगमगा चुका है, और हाल का 2024 का गैनन तूफान भी सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा चुका है।

क्या है बचाव का रास्ता?
आज वैज्ञानिक ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं जिससे भविष्य में इन सौर तूफानों से सैटेलाइट, बिजली और इंटरनेट को बचाया जा सके। इन तूफानों की पहचान समय रहते हो जाए, तो बड़े नुकसानों से बचा जा सकता है।

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