महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के 71वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए शाह

Edited By Updated: 18 Mar, 2023 11:55 PM

shah attends 71st convocation ceremony of maharaja sayajirao university

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुजरात के वडोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के 71वें दीक्षांत समारोह में शनिवार को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

नेशनल डेस्क : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुजरात के वडोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के 71वें दीक्षांत समारोह में शनिवार को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर श्री शाह ने कहा कि ये महाराजा सयाजीराव की भूमि है और इसे संस्कार नगरी के नाम से जाना जाता है। जिस समय पूरा देश गुलामी का अनुभव कर रहा था। उस वक्त भी महाराजा सयाजीराव ने पूरे बरोडा को गुलामी का अनुभव नहीं करने दिया। इसी भूमि पर महाराजा ने श्री अरबिन्दो को आश्रय दिया, यहीं पर बाबा साहब अंबेडकर को आगे पढ़ाई करने का मौका मिला, यहीं से विनोबा भावे, के एम मुंशी, हंसा मेहता और दादा साहेब फाल्के ने शिक्षा लेकर भारत को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया।

उन्होंने कहा कि अपने बाद भी वही लोग याद किए जाते हैं जो लोग समाज, देश और दुनिया के लिए काम करते हैं। आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बर्मा में प्रवेश किया था और कहा था कि मैं आजाद हिंदुस्तान में कदम रख रहा हूं। नेताजी जैसे व्यक्ति ने अपने जीवन में अपार कष्ट सहते हुए बहुत प्रयास किए थे। आज भी दुनिया नेताजी का सम्मान करती है और याद करती है क्योंकि उन्होंने हमेशा दूसरों के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि आज 6713 छात्र और 8048 छात्राएं अपना छात्र जीवन समाप्त करके आगे की यात्रा पर निकल रहे हैं।

उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि यहां से प्राप्त की गई शिक्षा के आधार पर समाज को संवारने और आगे ले जाने का प्रयास आपको करना है। आज यहां महाराजा रंजीत सिंह गायकवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन का भी ई-लोकार्पण हुआ है। उन्होंने कहा कि महाराजा सयाजीराव ने अपने पूरे कालखंड में इस प्रकार की शासन व्यवस्था को प्रस्थापित करने का प्रयास किया जो आज भी जानी जाती है। महाराजा सयाजीराव के शासन में कोई गांव ऐसा नहीं था जहां पुस्तकालय नहीं था, कोई बालिका ऐसी नहीं थी जो पढ़ी ना हो।

महाराजा ने अपने शासन में शिक्षा का प्रसार, न्याय की स्थापना, वंचितों का उत्थान, सिंचाई, कृषि और सामाजिक सुधार जैसे कई विषयों पर बहुत काम किया। बाबा साहेब अंबेडकर ने महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित किया, पर्दा प्रथा को उस समय समाप्त किया, बाल विवाह पर रोक लगाई, तलाक के लिए स्वतंत्र कानून बनाया, और रोजगार सृजन के लिए शिक्षा के आयामों को बदलने का काम भी किया। शाह ने डिग्री लेकर जा रहे छात्र-छात्राओं से कहा कि अगर आप नई शिक्षा नीति को समझने का प्रयास करेंगे तो शिक्षा के उपयोग के बारे में आपके कॉंसेप्ट क्लीयर हो जाएंगे।

इस नई शिक्षा नीति में सयाजीराव का एक्सेसीबल शिक्षा का विचार शामिल है, सरदार पटेल का एम्पावरमेंट का विचार भी शामिल है, अंबेडकर जी का ज्ञान की शिक्षा का विचार भी शामिल है, श्री अरबिन्दो का सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी शिक्षा का विचार भी शामिल है और गांधी जी का मातृभाषा पर आग्रह का विचार भी इसमें शामिल है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि जीवन में कभी अपनी मातृभाषा को नहीं छोड़ना चाहिए और इस लघुता ग्रंथि से बाहर निकलना चाहिए कि भाषा से स्वीकृति मिलती है।

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