रात 12 बजे चीखों की आवाज़, वो आई और मेरे परिवार को मेरी आंखों के सामने... मासूम बोला- 'मैं रोया नहीं छिप गया था'

Edited By Updated: 08 Jul, 2025 09:34 AM

the whole family was burnt alive in purnia after being accused of being a witch

बिहार के पूर्णिया जिले में अंधविश्वास और क्रूरता की सारी हदें पार करने वाली एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहाँ मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रजीगंज पंचायत अंतर्गत टेटगामा गांव में डायन बताकर ग्रामीणों ने एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा...

नेशनल डेस्क। बिहार के पूर्णिया जिले में अंधविश्वास और क्रूरता की सारी हदें पार करने वाली एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहाँ मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रजीगंज पंचायत अंतर्गत टेटगामा गांव में डायन बताकर ग्रामीणों ने एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाकर मार डाला। इस जघन्य हत्याकांड में दादी, पिता, माँ और दो भाइयों की मौत हो गई है। परिवार का इकलौता सदस्य 12 वर्षीय सोनू किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में कामयाब रहा और उसने ही इस पूरी खौफनाक वारदात को अपनी आँखों से देखने की बात कही है।

"मैंने अपने परिजनों को जिंदा जलते देखा..."

सोनू ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि देर शाम कुछ ग्रामीण उनके घर आए और परिवार के सभी सदस्यों को मारने-पीटने लगे। इसी दौरान उसे भागने का मौका मिल गया और वह कुछ दूर जाकर छिप गया। सोनू ने बताया, मैंने ग्रामीणों द्वारा अपने परिजनों को घसीटकर ले जाते हुए देखा। उन्होंने मेरे परिवार को जिंदा जलाकर मार डाला। उसके बाद सभी के शवों को बोरी में भरकर दफना दिया गया।

 

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सोनू ने आगे कहा कि रात के करीब 12 बज रहे होंगे जब यह सब हुआ। उसने यह सब अपनी आँखों से देखा। घटना के वक्त वह वहाँ से भागना नहीं चाहता था क्योंकि अगर आवाज होती तो वे उसे भी मार देते। उसने बताया कि घरवालों की चीखें जब थम गईं तो उसने खेतों के बीच से होते हुए अपने ननिहाल वीरपुर जाने का फैसला किया। उसके घर से ननिहाल की दूरी महज 4 किलोमीटर थी लेकिन हर एक कदम भारी लग रहा था। कुत्तों के भौंकने की आवाज से भी वह डर जाता था। सोनू ने कहा कि नानी के घर पहुँचने पर उसे विश्वास हुआ कि अब वह जिंदा बच गया है।

अशिक्षा और अंधविश्वास का गढ़

पूर्णिया शहर से महज 20 किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रजीगंज पंचायत अंतर्गत टेटगामा गांव में केवल 40 परिवार रहते हैं और इनमें अधिकतर आदिवासी हैं। बताया जाता है कि गाँव में शिक्षा की कमी और रोजगार न मिलने के कारण लोग पलायन को मजबूर हैं। इसी अशिक्षा और गरीबी के चलते यहाँ लोग अंधविश्वास के गहरे शिकार हो गए हैं।

 

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ग्रामीणों ने बताया कि मृतक बाबूलाल उरांव झाड़फूंक का काम करता था। तीन दिन पहले गांव में एक बच्चे की मौत हो गई थी। आरोपियों ने इसी अंधविश्वास के कारण बाबूलाल उरांव और उसके पूरे परिवार को मार डाला।

पुलिस कार्रवाई और राजनीतिक बयानबाजी

पूर्णिया सदर SDPO पंकज शर्मा ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह उरांव जाति का गांव है। यहाँ 5 सदस्यों की पिटाई करने के बाद जिंदा जलाने का मामला सामने आया है। उन्होंने बताया कि घटना की जांच जारी है और मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

 

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इस बर्बर घटना पर बिहार की राजनीति भी गरमा गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, "पूर्णिया में एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया गया। बिहार में अराजकता चरम पर है। DGP और चीफ सेक्रेटरी बेबस हैं। कानून व्यवस्था ध्वस्त है।" तेजस्वी ने हाल ही में हुई अन्य नरसंहारों का भी जिक्र करते हुए कहा कि अपराधी सतर्क हैं, मुख्यमंत्री अचेत हैं और पुलिस पस्त है।

यह घटना एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में फैले अंधविश्वास और उसके भयानक परिणामों पर गंभीर सवाल खड़े करती है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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