ट्रंप ने भारतीयों पर गिराई एक और गाज ! कंपनियों को दी सख्त  चेतावनी,  IT प्रोफेशनल्स की बढ़ेगी मुश्किलें

Edited By Updated: 05 Mar, 2025 06:03 PM

trump warns companies against favoring foreign workers

अमेरिका में नौकरी करने की इच्छा रखने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ट्रंप प्रशासन ने कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे विदेशी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने से बचें, अन्यथा सख्त कानूनी...

Washington: अमेरिका में नौकरी करने की इच्छा रखने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ट्रंप प्रशासन ने कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे विदेशी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने से बचें, अन्यथा सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग (EEOC) की कार्यकारी अध्यक्ष एंड्रिया लुकास ने कहा कि कई कंपनियां अमेरिका के मूल वर्कर्स की बजाय वीजा धारकों को तरजीह दे रही हैं, जो फेडरल रोजगार कानून का उल्लंघन है। उन्होंने साफ किया कि ऐसी कंपनियों, स्टाफिंग एजेंसियों और नियोक्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।  

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H-1B वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियां टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर सेक्टर में उच्च कुशल विदेशी प्रोफेशनल्स को नियुक्त करती हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन का मानना है कि कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को कम लागत और ज्यादा काम के लिए भर्ती कर अमेरिकी कर्मचारियों के अवसर छीन रही हैं।  अगर ट्रंप प्रशासन वीजा नियमों को और सख्त करता है, तो अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए अवसर सीमित हो सकते हैं। कंपनियों पर निगरानी बढ़ेगी और अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने का दबाव डाला जाएगा। इससे H-1B वीजा धारकों के लिए नई नौकरियां पाना मुश्किल हो सकता है।  

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अमेरिकी इमिग्रेशन काउंसिल के अनुसार, H-1B वीजा से अमेरिकी वर्कर्स को नुकसान नहीं होता। 2021 में वीजा धारकों की औसत सैलरी $1,08,000 थी, जबकि सामान्य वर्कर्स की सैलरी $45,760 रही।   विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका H-1B वीजा को लेकर और सख्ती बरतता है, तो प्रतिभाशाली पेशेवर कनाडा, यूके और अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं। अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच जारी कुल H-1B वीजा में से 72.3% भारतीयों को मिले थे। अगर नियम कड़े हुए, तो इसका सीधा असर भारतीय IT प्रोफेशनल्स और अन्य विशेषज्ञों पर पड़ेगा।  

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