Edited By Shubham Anand,Updated: 27 Dec, 2025 05:40 PM

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में UPI ट्रांजैक्शन का इस्तेमाल राज्यों के बीच काफी असमान है। महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति UPI इस्तेमाल बिहार की तुलना में सात गुना अधिक है। दिल्ली और तेलंगाना जैसे शहरी प्रधान राज्य प्रति व्यक्ति मासिक...
नेशनल डेस्क : भारत में डिजिटल पेमेंट का चेहरा बन चुका UPI लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। हर महीने 20 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन होते हैं और करीब 85% डिजिटल भुगतान UPI के ज़रिये हो रहे हैं। हालांकि, जब इन आंकड़ों को जनसंख्या के हिसाब से देखा जाता है, तो एक अलग तस्वीर सामने आती है। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में UPI का इस्तेमाल सभी राज्यों में समान नहीं है।
प्रति व्यक्ति इस्तेमाल में बड़ा फर्क
नवंबर 2025 तक के आंकड़ों में राज्यों के UPI ट्रांजैक्शन और उनकी वैल्यू को जनसंख्या से जोड़कर देखा गया। इसमें यह पता चला कि महाराष्ट्र जैसे बड़े और आर्थिक रूप से मजबूत राज्य में प्रति व्यक्ति UPI इस्तेमाल बिहार से लगभग सात गुना ज़्यादा है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे नंबर पर मौजूद तेलंगाना में प्रति व्यक्ति ट्रांजैक्शन त्रिपुरा से छह गुना से अधिक दर्ज किए गए।
दक्षिण और पश्चिम भारत के राज्य इस मामले में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर हैं। इसके विपरीत झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य नीचे की सूची में बने हुए हैं, जो डिजिटल भुगतान में बने अंतर को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं।
छोटे लेकिन शहरी इलाके शीर्ष पर
जब आबादी के प्रभाव को हटाया जाता है, तो छोटे और अधिक शहरी इलाके सबसे आगे निकलते हैं। दिल्ली में एक व्यक्ति औसतन महीने में 23.9 UPI ट्रांजैक्शन करता है। इसके बाद गोवा (23.3), तेलंगाना (22.6) और चंडीगढ़ (22.5) का स्थान आता है। बड़े राज्यों में महाराष्ट्र लगभग 17.4 ट्रांजैक्शन प्रति व्यक्ति के साथ सबसे मजबूत स्थिति में है, जहां QR कोड और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का व्यापक नेटवर्क मौजूद है।
सिर्फ ट्रांजैक्शन की संख्या ही नहीं, बल्कि रकम के मामले में भी यही रुझान दिखाई देता है। तेलंगाना प्रति व्यक्ति महीने में लगभग 34,800 रुपये के UPI पेमेंट के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद गोवा और दिल्ली का स्थान है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इन राज्यों में लोग रोज़मर्रा के बड़े भुगतान के लिए भी UPI पर भरोसा कर रहे हैं।
पूर्व और उत्तर-पूर्व अभी पीछे
वहीं, त्रिपुरा और बिहार जैसे राज्यों में प्रति व्यक्ति महीने में चार से भी कम UPI ट्रांजैक्शन होते हैं। झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल भी इसी श्रेणी में शामिल हैं। उत्तर-पूर्व में स्थिति मिली-जुली है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में इस्तेमाल बेहतर है, जबकि त्रिपुरा और असम अभी पीछे हैं।
डिजिटल इकॉनमी की मल्टी-स्पीड हकीकत
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की डिजिटल इकॉनमी अलग-अलग रफ्तार से आगे बढ़ रही है। आगे चलकर इस अंतर को कम करने के लिए स्मार्टफोन की पहुंच बढ़ाना, नेटवर्क कनेक्टिविटी सुधारना और छोटे दुकानदारों को तेजी से UPI से जोड़ना जरूरी होगा। तकनीक देशभर में मौजूद है, लेकिन चुनौती अब इसके गहरे और समान इस्तेमाल की है।