पानी की निकासी का रखें ध्यान अन्यथा कभी भी सुखी न रहेगा आपका परिवार

Edited By Updated: 30 Jan, 2015 10:19 AM

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घर छोटा हो या बड़ा उसमें जल की निकासी की व्यवस्था करना आवश्यक होता है। दैनिक दिनचर्या जैसे नहाने, कपड़े धोने, बर्तन साफ करने इत्यादि कार्यों में पानी के उपयोग के उपरांत निकले व्यर्थ जल की निकासी के लिए नाली अर्थात् ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था की जाती...

घर छोटा हो या बड़ा उसमें जल की निकासी की व्यवस्था करना आवश्यक होता है। दैनिक दिनचर्या जैसे नहाने, कपड़े धोने, बर्तन साफ करने इत्यादि कार्यों में पानी के उपयोग के उपरांत निकले व्यर्थ जल की निकासी के लिए नाली अर्थात् ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था की जाती है। बरसाती पानी के निकासी के लिए भी यह आवश्यक है। जल निकासी की व्यवस्था सामान्यतः घर के फर्श के अनुरूप या सार्वजनिक नाली के अनुरूप की जाती है। विभिन्न दिशाओं में घर के पानी की निकासी का प्रभाव इस प्रकार पड़ता है-

१ जिस घर का व्यर्थ पानी ईशान की ओर से बहकर बाहर की ओर जाता तो यह स्थिति वैभव एवं संतान वृद्धि कराती है।
 
२ जिस घर का पानी पूर्व की ओर से बाहर बह जाता है तो वह स्वास्थ्यवर्धक एवं घर के पुरुषों के लिए शुभ होता है।
 
३ जिस घर का पानी आग्नेय से बाहर की ओर से बहकर बाहर जाता तो यह पुत्र संतान के लिए अशुभ होता है।
 
४  जिस घर का पानी दक्षिण की ओर से बहकर बाहर जाता है तो वह घर की स्त्रियों के लिए अशुभ होता है।
 
५ जिस घर का पानी नैऋत्य की ओर से बाहर बह जाता है तो यह परिवार के सदस्यों को मृत्युतुल्य कष्ट देता है।
 
६ जिस घर का पानी पश्चिम की ओर से बाहर बह जाता है तो वह परिवार के ऐश्वर्य को नष्ट करता है।
 
७ जिस घर से पानी वायव्य की ओर से बाहर बह जाता है तो वह शत्रुता बढ़ाता है एवं शत्रुओं से भय होगा।
 
८ जिस घर से पानी उत्तर की ओर से बाहर बह जाता है तो मान-प्रतिष्ठता के साथ-साथ सुख की भी प्राप्ति होती है।
 
९ जिस घर की चारदीवारी के खुले भाग का पानी एक ओर नैऋत्य से दक्षिण एवं आग्नेय से होते हुए पूर्व से होता हुआ तथा दूसरी ओर नैऋत्य से पश्चिम एवं वायव्य से होते हुए उत्तर दिशा से होता हुआ ईशान कोण से बहकर बाहर निकल जाता हो वह घर सब प्रकार से अच्छे फल देता है।
 
घर का व्यर्थ जल बाहर न जाकर अपने ही वास्तु में रूक जाना एवं कीचड़ हो जाना भी अशुभ होता है। अतः परिवार के सुखद जीवन के लिए जल निकासी की व्यवस्था भी वास्तुनुकूल ही करनी चाहिए। वास्तुशास्त्र के प्राचीन ग्रन्थों में दी गई उपरोक्त जानकारी का आधार घर के फर्श का ढाल है। जिस तरफ घर के फर्श का ढाल होता है, घर के पानी की निकासी उसी तरफ होती है। अतः घर बनाते समय घर के फर्श के ढाल पर विशेष ध्यान दें। वास्तु निरीक्षण के दौरान मुझे ऐसे सैकड़ों घर देखने में आए जिनके यहां पश्चिम नैऋत्य या दक्षिण नैऋत्य में मुख्यद्वार थे और घर के फर्श का ढाल भी नैऋत्य कोण की ओर  ही थे। उनमें से एक भी घर ऐसा नहीं था जो सुखी था। ध्यान रहे दुनिया में जितने भी घरों के फर्श का ढाल दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण की ओर है वहां रहने वाले कभी भी सुखी नहीं रहते वहां रहने वाले परिवार के सदस्यों को आर्थिक, मानसिक, शारीरिक, विवाद इत्यादि समस्याओं के अलावा कभी-कभी अनहोनी का भी सामना करना पड़ जाता है।
 
इस महत्वपूर्ण वास्तुदोष से बचने का एकमात्र तरीका यह है कि, घर के फर्श का ढाल समतल रखें। यदि ढलान देना है तो केवल उत्तर या पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर दें और यदि उस दिशा में पानी की निकासी नहीं है तो वहां पर चेम्बर बनाकर पाईप से जहां पर गटर है वहां बाहर निकाल दें। यदि गटर दक्षिण दिशा में है तो पूर्व दिशा स्थित चैम्बर से एक पाईप डालकर दक्षिण आग्नेय में बाहर निकाल दें और यदि पश्चिम दिशा में गटर है तो उत्तर दिशा में चेम्बर बनाकर पाईप द्वारा पश्चिम वायव्य में बाहर निकाल दें।
 
- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@yahoo.co.in

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