आप भी पहनते हैं फटे Under Garments जानिए, क्या कहते हैं ज्योतिष और शास्त्र

Edited By ,Updated: 01 Aug, 2016 01:13 PM

Torn Under Garments

उपवस्त्र अर्थात अंदर पहने जाने वाले वस्त्रों का उपयोग जो हमारे शरीर को अपने प्रकार से सुरक्षित रखता है, वहीं उनका फटा होना हमारे तन-मन के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है।

उपवस्त्र अर्थात अंदर पहने जाने वाले वस्त्रों का उपयोग जो हमारे शरीर को अपने प्रकार से सुरक्षित रखता है, वहीं उनका फटा होना हमारे तन-मन के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फटे उपवस्त्र हमारी शारीरिक क्षमता एवं ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं तथा तन-मन को शिथिल बनाकर अनेक बीमारियों को जन्म देने वाले होते हैं।

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अंदरूनी वस्त्र गंजी, चड्डी, जांघिया, पैंटी, ब्रा का इस्तेमाल आज के समय में प्राय: सभी स्त्री-पुरुष करते हैं। पेटीकोट (साया) को भी उपवस्त्र या अधोवस्त्र के रूप में ही माना जाता है।  अगर ये वस्त्र कम या अधिक फटे हों तो इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए जबकि अंदरुनी वस्त्र होने के कारण फटे वस्त्रों को भी हम पहनने से परहेज नहीं करते क्योंकि वे दिखाई नहीं देते हैं। 

‘ज्योतिष दिग्दर्शन’ के अनुसार : 

खंडित उपवस्त्रेण, नम: चव्चल जायते। 

रोग, शोक, अनिष्टाणां, तत् कारणं प्रगल्भ्यते।। 

अर्थात फटे हुए उपवस्त्र के प्रयोग से मन हमेशा चंचल बना रहता है। ये रोग, शोक एवं अनेक प्रकार के अनिष्टों को जन्म देने का कारण बनते हैं। इसी ग्रंथ में बताया गया है कि ब्रा के फटे होने पर स्तनों की उत्तेजना में कमी आ जाती है। स्तन संबंधी अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं साथ ही स्तनों की कोमलता एवं आकर्षण में भी कमी आ जाती है। ब्रा की क्षीणता के कारण दुग्धनलिकाएं भी प्रवाहित होते समय कष्ट को महसूस करती हैं। अतएव ब्रा के फटने, उसके हुक टूटने पर उसे शीघ्र ही बदल देना चाहिए या फिर उचित मुरम्मत करने के उपरांत ही धारण करनी चाहिए।

 

गंजी फटी होने पर हृदय संबंधी अनेक बीमारियां होने की संभावनाएं बन जाती हैं। पैंटी के फटे होने पर योनि एवं गर्भाशय संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं। ल्यूकोरिया, गर्भाशय विच्छेद, गर्भपात, योनि की सूजन आदि अनेक बीमारियों से युवतियों को रू-ब-रू होना पड़ सकता है।

 ‘अंगुल प्रमाणम्’ के अनुसार अगर अधोवस्त्र एक अंगुल के बराबर फटा हुआ हो तो वह युवती परपुरुष के हाथों का खिलौना बन सकती है।  

स्त्री का ब्लाऊज फटा होना पति से मनमुटाव, गृह क्लेश, अकारण ऋण लेने की नौबत, घर में अनेक बीमारियों का प्रवेश आदि का कारण बन सकता है। फटे पेटीकोट के कारण पड़ोसियों से झगड़ा, अपमान की स्थिति का आना, पेट संबंधी बीमारी का प्रारंभ हो सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि अधोवस्त्र के फटते ही उसे बदल दिया जाए या उसकी सम्यक मुरम्मत कर दी जाए।

 

पुरुषों के अधोवस्त्र गंजी (बनियान), जांघिया, अंडरवियर, लंगोटी आदि के फटे होने पर भी तन-मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। गंजी के फटे होने पर पुरुषों को काली खांसी, दमा, हृदय विकार, हृदय रोग आदि होने के भय बने रहते हैं। इससे पुरुष की भावना भी भटकने लगती है। वह परस्त्री गमन तक कर सकता है।

 

पत्नी के साथ मनमुटाव या अकारण लड़ाई का कारण भी अधोवस्त्रों का फटा होना हो सकता है। अधिक दिनों तक फटे उपवस्त्रों को धारण करते रहने से अनेक प्रकार की मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है।

 

इसीलिए ज्योतिष शास्त्र ऐसे वस्त्रों का त्याग देने की ही बात करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार, वीरवार एवं शुक्रवार को ही नवीन वस्त्र पहनने चाहिएं। शनिवार को पहनने से वस्त्र शीघ्र फटता है। रविवार को पहनने से वस्त्र के जलने का डर रहता है तथा सोमवार को नवीन वस्त्र पहनने से पहनने वाले की आयु क्षीण होती है।

—आनंद कु. अनंत

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