Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Jul, 2025 12:26 PM

2025 की पहली छमाही में भारतीय शेयर बाजार ने सकारात्मक रिटर्न दिया लेकिन इसके बावजूद चार प्रमुख ब्रोकिंग कंपनियों Groww, Zerodha, Angel One और Upstox ने करीब 20 लाख एक्टिव इनवेस्टर्स खो दिए हैं। इसका मतलब ये है कि निवेशकों और ट्रेडर्स का शेयर बाजार...
बिजनेस डेस्कः 2025 की पहली छमाही में भारतीय शेयर बाजार ने सकारात्मक रिटर्न दिया लेकिन इसके बावजूद चार प्रमुख ब्रोकिंग कंपनियों Groww, Zerodha, Angel One और Upstox ने करीब 20 लाख एक्टिव इनवेस्टर्स खो दिए हैं। इसका मतलब ये है कि निवेशकों और ट्रेडर्स का शेयर बाजार में भरोसा कम हुआ है। इसका सीधा संकेत है कि रिटेल इनवेस्टर्स का भरोसा खासकर F&O सेगमेंट में कमजोर पड़ा है।
जून में ही 6 लाख एक्टिव इनवेस्टर्स हुए बाहर
NSE के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले जून 2025 में इन चारों ब्रोकर्स के प्लेटफॉर्म्स से 6 लाख से अधिक एक्टिव क्लाइंट्स कम हो गए। जनवरी से जून तक Groww ने 6 लाख, Zerodha ने 5.5 लाख, Angel One ने 4.5 लाख और Upstox ने 3 लाख से ज़्यादा एक्टिव इनवेस्टर्स खो दिए।
SEBI के सख्त नियम बने पलायन की वजह
रिटेल इनवेस्टर्स की इस वापसी के पीछे मुख्य वजह है SEBI द्वारा F&O ट्रेडिंग पर लागू किए गए सख्त रेगुलेशंस। कड़े मार्जिन नियम, बढ़ी टैक्स देनदारी, वीकली एक्सपायरी की कटौती और कैपिटल लिमिट ने F&O को रिटेल के लिए कम आकर्षक बना दिया है।
Axis Securities के राजेश पलविया के अनुसार, अब रिटेल इनवेस्टर्स इस हाई रिस्क सेगमेंट से दूर हो रहे हैं, क्योंकि मुनाफा निकालना मुश्किल हो गया है।
छोटे शहरों से आए निवेशकों ने छोड़ा प्लेटफॉर्म
2023-24 में छोटे शहरों से बड़ी संख्या में युवा निवेशकों ने डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स पर एंट्री की थी लेकिन 2025 की शुरुआत में आए मार्केट करेक्शन और बढ़ती वोलैटिलिटी के चलते लॉस झेलने के बाद कई ने अकाउंट बंद कर दिया। रिसर्च और एडवाइजरी की कमी भी एक बड़ी वजह बनी।
निवेशक अब म्यूचुअल फंड्स और PMS की ओर
Fisdom के निरव करकड़ा के मुताबिक, अब निवेशक म्यूचुअल फंड्स, PMS (Portfolio Management Services) और AIFs (Alternative Investment Funds) की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, क्योंकि ये ज्यादा रेगुलेटेड, प्रोफेशनली मैनेज्ड और कम स्पेकुलेटिव होते हैं।
Groww के IPO पर नजर
बेंगलुरु स्थित Groww ने हाल ही में SEBI के पास IPO के लिए ड्राफ्ट पेपर्स जमा किए हैं। अब देखना होगा कि गिरती एक्टिविटी का इस IPO पर क्या असर पड़ेगा। हालांकि कुल एक्टिव यूज़र्स के मुकाबले 5% की यह गिरावट अभी बड़ी नहीं मानी जा रही है।
2024 में बढ़ा था निवेश, 2025 में रुक गई रफ्तार
2024 में NSE का एक्टिव इनवेस्टर बेस 44% की उछाल के साथ 5.01 करोड़ पहुंच गया था लेकिन 2025 में टैक्स बढ़ोतरी, कम एक्सचेंज इंसेंटिव और F&O पर सख्ती से ब्रोकर्स की परेशानी बढ़ गई है।
डीमैट अकाउंट्स का आंकड़ा भी ठहराव पर है। FY26 की पहली तिमाही में केवल 69.1 लाख नए डीमैट अकाउंट्स खुले, जो पिछली तिमाही (Q4 FY25) के 69.3 लाख से थोड़ा कम है। जून 2025 के अंत तक कुल डीमैट अकाउंट्स 19.91 करोड़ तक पहुंचे हैं।