JSW Steel को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, शेयर टूटा

Edited By Updated: 02 May, 2025 01:28 PM

jsw steel gets a big blow from the supreme court shares fall

देश की प्रमुख स्टील निर्माता कंपनी JSW Steel को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पावर एंड स्टील के अधिग्रहण के लिए JSW का रेज़ोल्यूशन प्लान अमान्य करार देते हुए खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह प्लान इंसॉल्वेंसी...

बिजनेस डेस्कः देश की प्रमुख स्टील निर्माता कंपनी JSW Steel को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पावर एंड स्टील के अधिग्रहण के लिए JSW का रेज़ोल्यूशन प्लान अमान्य करार देते हुए खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह प्लान इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के नियमों का उल्लंघन करता है और इसे Committee of Creditors (CoC) को स्वीकार नहीं करना चाहिए था। इसके साथ ही अदालत ने कंपनी को लिक्विडेशन में भेजने का आदेश भी दिया है।

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शेयर में तेज गिरावट

इस फैसले के बाद JSW Steel के शेयर में जबरदस्त गिरावट देखी गई। शेयर 6.22 फीसदी टूटकर 965 रुपए से नीचे आ गया। इसका पिछला क्लोजिंग प्राइस 1,028.30 रुपए था। बीते एक हफ्ते में इसमें 5% और एक महीने में 8% की गिरावट आई है, हालांकि एक साल में यह 10% ऊपर है।

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क्या है पूरा मामला?

  • जुलाई 2017 में भूषण पावर एंड स्टील पर PNB समेत कई बैंकों का ₹47,158 करोड़ बकाया था।
  • अगस्त 2018 में JSW Steel ने कंपनी के अधिग्रहण के लिए ₹19,700 करोड़ की बोली लगाई।
  • सितंबर 2019 में NCLT ने JSW का प्लान मंजूर किया लेकिन ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में ₹4,025 करोड़ की संपत्ति जब्त कर दी।
  • मार्च 2021 में JSW ने अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की और कर्जदाताओं को ₹19,350 करोड़ का भुगतान किया।
  • मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने JSW Steel के अधिग्रहण को अवैध घोषित कर दिया और कंपनी को लिक्विडेट करने का आदेश दिया।

JSW Steel पर असर

विशेषज्ञों के अनुसार, JSW Steel के कुल EBITDA में लगभग 10% योगदान भूषण पावर एंड स्टील का है। कंपनी के कुल 35.7 मिलियन टन उत्पादन में से 4.5 मिलियन टन उत्पादन भूषण पावर की झारसुगुड़ा यूनिट से होता है।

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क्या हो सकता है अगला कदम?

कर विशेषज्ञ एच.पी. रानीना का मानना है कि JSW Steel सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है और कह सकती है कि वह अधिग्रहण इक्विटी रूट से पूरा करेगी न कि कनवर्टिबल डिबेंचर के ज़रिए। इससे स्थिति को सुधारा जा सकता है।
  

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