Ashfaqulla Khan Story: अशफाक उल्ला खां ये कहानी जगा देगी आपके अंदर की दबी हुई देशभक्ति

Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Mar, 2024 09:11 AM

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बात उस समय की है जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था। एक बालक के अंदर देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी। वह उन लोगों की बराबर मदद करता

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Ashfaqulla Khan Story:  बात उस समय की है जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था। एक बालक के अंदर देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी। वह उन लोगों की बराबर मदद करता था, जो आजादी के दीवाने थे और गुलामी की जंजीरें तोड़ने के लिए जी-जान से जुटे थे।

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उसकी मां ने अपने बेटे को  देशभक्ति   के रंग में रंगे देखा तो उसे बड़ी खुशी हुई। साथ ही उस मां के मन में यह डर भी समाया हुआ था कि कहीं उसका बेटा 
पुलिस के हाथ में पड़ जाने पर घबरा न जाए और क्रांतिकारियों के नाम-पते न बता दे।

एक दिन मां ने लड़के को अपना डर  बताया तो उसने बड़ी दृढ़ता से कहा, “मां तुम बेफिक्र रहो। मैं घबराऊंगा नहीं।” बालक फिर भी बालक था। मां को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ और वह बोली, “मैं तेरी परीक्षा लूंगी।”

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 इसके बाद मां ने एक दीया जलाया और कहा, “इस पर अपनी हथेली रख दे।” लड़का एक क्षण के लिए भी नहीं झिझका और वह अपनी परीक्षा  देने के लिए तैयार हो गया। उसने फौरन अपनी हथेली जलती बत्ती की लौ के ऊपर कर दी। हथेली जलती रही पर उस बालक के मुंह से उफ तक नहीं निकली। वह लगातार मुस्कुराता रहा।

बालक का हौसला देखकर मां का जी भर आया। लड़का अपने काम में दोगुने उत्साह से जुट गया। आगे चलकर यही लड़का अशफाक उल्ला खां भारत का महान क्रांतिकारी बना। जब काकोरी केस में अशफाक उल्ला को फांसी की सजा मिली और उनके गले में रस्सी का फंदा डाला गया तब वह ऐसे प्रसन्न थे मानो उनके जीवन की सबसे बड़ी इच्छा पूरी हो गई हो।

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