Edited By Prachi Sharma,Updated: 01 May, 2025 06:57 AM

अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए बुधवार को हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने 121 साल पुरानी परंपरा को संतों की सहमति मिलने के बाद तोड़ दिया। इसके साथ ही हनुमानगढ़ी का कोई गद्दीनशीन महंत 1904 के बाद पहली बार
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अयोध्या (इंट): अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए बुधवार को हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने 121 साल पुरानी परंपरा को संतों की सहमति मिलने के बाद तोड़ दिया। इसके साथ ही हनुमानगढ़ी का कोई गद्दीनशीन महंत 1904 के बाद पहली बार 52 बीघे की परिधि से बाहर निकला है। महंत प्रेमदास ने न सिर्फ रामलला के दर्शन किए बल्कि राम मंदिर की अंतरगृही परिक्रमा का भी शुभारम्भ किया है। राम मंदिर के निर्माण के बाद पहली बार वी.वी.आई.पी. के लिए परिक्रमा खोली गई है। गद्दीनशीन महंत सहित अन्य संतों-महंतों ने भगवान के साथ रामरक्षा स्तोत्र का पाठ किया। रामलला को 56 भोग भी लगाया गया। इससे पहले हनुमानगढ़ी अखाड़े के निशान के साथ गद्दीनशीन महंत प्रेम दास की नगर में शोभायात्रा निकाली गई। इसका जगह-जगह स्वागत हुआ।
हनुमानगढ़ी की नियमावली के अनुसार गद्दीनशीन पद पर प्रतिष्ठित महंत आजीवन परिसर के 52 बीघे की परिधि के बाहर नहीं निकल सकते। इसी नियम के कारण महंत प्रेम दास राम मंदिर के निर्माण के बाद भी रामलला के दर्शन नहीं कर सके और दर्शन पाने के लिए लालायित थे। पिछले दिनों महंत की इच्छा को लेकर निर्वाणी अखाड़ा के पंचों ने बैठक की और सर्वसम्मति से दर्शन की अनुमति दे दी। तय हुआ कि अक्षय तृतिया के पावन मौके पर महंत रामलला के दर्शन करेंगे।