Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ

Edited By Updated: 23 Mar, 2025 12:50 PM

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Baijnath Temple: दुनियाभर में भगवान शंकर के अद्भुत मंदिर देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कागड़ा जिले में स्थित बैजनाथ मंदिर है। यह कांगड़ा जिले के बैजनाथ शहर में स्थित है। ये मंदिर आज भी त्रेतायुग की यादों को समेटे हुए हैं।

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Baijnath Temple: दुनियाभर में भगवान शंकर के अद्भुत मंदिर देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कागड़ा जिले में स्थित बैजनाथ मंदिर है। यह कांगड़ा जिले के बैजनाथ शहर में स्थित है। ये मंदिर आज भी त्रेतायुग की यादों को समेटे हुए हैं। कहते हैं कि लंकापति रावण की लाख कोशिशों के बाद भी वो यहां से शिवलिंग को हिला नहीं पाया था। यही भी कहते हैं इस पवित्र स्थल पर भगवान शंकर अपनी मर्जी से विराजमान हुए थे। इस मंदिर को पहले कीरग्राम के नाम से भी जाना जाता था। ये मंदिर नागोरा शैली में बनाया गया है।

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इस मंदिर के बारें में मान्यता है कि रावण तीनों लोकों पर अपना राज कायम करने के लिए कैलाश पर्वत पर तपस्या कर रहा था।भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए उसने अपने दस सिर हवन में काटकर चढ़ा दिए थे। बाद में भगवान भोलेनाथ रावण की तपस्या से खुश हुए और उसके सिर उसे दोबारा दे दिए। यही नहीं भोलेनाथ ने रावण को असीम शक्तियां भी दी जिससे वह परम शक्तिशाली बन गया था। उसके बाद शिव जी ने उससे वरदान मांगने के लिए कहा। रावण ने अपनी इच्छा जताते हुए कहा कि वो भगवान शिव को लंका ले जाना चाहता है। ‌भगवान शिव ने उसकी ये इच्छा भी पूरी की और कहा कि वो जहां मंदिर बनवाएगा वहीं इस शिवलिंग को जमीन पर रखें क्योंकि जिस जगह ये शिवलिंग एक बार जमीन पर रखा जाएगा ये वहीं स्थापित हो जाएगा ये कहते हुए महादेव शिवलिंग में विराजमान हो गए।

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अब रावण प्रसन्न मन से शिवलिंग को लेकर कैलाश से लंका के लिए चल पड़ा। रास्ते में उसे लघुशंका जाना पड़ा। वो बैजनाथ में रुका और वहां भेड़ें चरा रहे गडरिए को देखा। उसने ये शिवलिंग गडरिए को दे दी और खुद लघुशंका करने चला गया और उससे कहा कि इसे जमीन पर न रखें, क्योंकि शिवलिंग भारी था इसलिए गडरिए ने इसे थोड़ी देर के लिए जमीन पर रख दिया। जब रावण थोड़ी देर में वापस लौटा तो उसने देखा कि गडरिए ने शिवलिंग जमीन पर रख दिया है, वो उसे उठाने लगा लेकिन उठा नहीं पाया। काफी कोशिश करने के बाद भी शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ। रावण शिव महिमा को जान गया और वहीं मंदिर का निर्माण करवा दिया। 

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मंदिर का निर्माण अब नगोरा शैली में किया गया है। इस भव्य मंदिर में देश- विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में आने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा इस प्रसिद्ध मंदिर में हर साल राज्य स्तरीय शिवरात्रि का मेला भी लगता है। कहते हैं इस मंदिर में आने वाला हर भक्त खुश होकर ही लोटता है। यहां त्रिलोकनाथ अपने भक्तों की हर इच्छा को सुनते हैं। 

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