Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Jan, 2023 10:21 AM
बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे।
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Chandra Shekhar Azad story: बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे। फिरंगियों से बचने के लिए शरण लेने हेतु आजाद एक तूफानी ऑरात को एक घर में जा पहुंचे जहां एक विधवा अपनी बेटी के साथ रहती थी। हट्टे-कट्टे आजाद को डाकू समझ कर पहले तो वृद्धा ने शरण देने से इंकार कर दिया लेकिन जब आजाद ने अपना परिचय दिया तो उसने उन्हें ससम्मान अपने घर में शरण दे दी। बातचीत से आजाद को आभास हुआ कि गरीबी के कारण विधवा की बेटी की शादी में कठिनाई आ रही है।
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आजाद ने महिला को कहा, ‘‘मेरे सिर पर पांच हजार रुपए का ईनाम है, आप फिरंगियों को मेरी सूचना देकर मेरी गिरफ्तारी पर पांच हजार रुपए का ईनाम पा सकती हैं जिससे आप अपनी बेटी का विवाह सम्पन्न कर सकती हैं।’’
यह सुन विधवा रो पड़ी व कहा, ‘‘भैया! तुम देश की आजादी हेतु अपनी जान हथेली पर रखे घूमते हो और न जाने कितनी बहू-बेटियों की इज्जत तुम्हारे भरोसे है। मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती।
यह कहते हुए उसने एक रक्षा सूत्र आजाद के हाथों में बांध कर देश सेवा का वचन लिया।
सुबह जब विधवा की आंख खुली तो आजाद जा चुके थे और तकिए के नीचे 5000 रुपए पड़े थे। उनके साथ एक पर्ची पर लिखा था-‘‘अपनी प्यारी बहन हेतु एक छोटी-सी भेंट-आजाद।’’