Gardabh Mela 2023: आज से कौशांबी में गर्दभ मेला आरंभ, देश के कोने-कोने से जुटे कारोबारी

Edited By Updated: 15 Mar, 2023 07:56 AM

gardabh mela

देश के 51 शक्तिपीठों में शामिल शीतला देवी धाम कड़ा में सदियों से लगने वाला गर्दभ मेला 13 मार्च से शुरू हो गया है। मेले में देश के कोने-कोने से गधा कारोबारी खरीद फरोख्त के लिये आये हैं। आगरा जिले के बटकेश्वरनाथ में लगने

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कौशांबी (वार्ता): देश के 51 शक्तिपीठों में शामिल शीतला देवी धाम कड़ा में सदियों से लगने वाला गर्दभ मेला 13 मार्च से शुरू हो गया है। मेले में देश के कोने-कोने से गधा कारोबारी खरीद फरोख्त के लिये आये हैं। आगरा जिले के बटकेश्वरनाथ में लगने वाले पशु मेला के बाद यह प्रदेश का दूसरा बड़ा गर्दभ मेला है। शीतला देवी धाम कड़ा में आयोजित होने वाला पौराणिक गर्दभ मेला प्रति वर्ष चैत्र के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है। 

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गधे को शीतला देवी की सवारी माना जाता है इसीलिए इस मेले का धार्मिक महत्व है। गर्दभ मेले में कौशांबी के अलावा पड़ोसी जिले फतेहपुर, चित्रकूट धाम, बांदा, हमीरपुर, उन्नाव, रायबरेली, प्रयागराज, मिर्जापुर सहित अनेक जिले के अलावा राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, नेपाल, पंजाब, दिल्ली से व्यापारी गर्दभ खरीदने के लिए यहां आते हैं। गर्दभों का मुख्य मेला इस बार सप्तमी व अष्टमी यानी 15 व 16 मार्च को पड़ रहा है। मां शीतला देवी धाम में आयोजित इस मेले का विशेष महत्व है इसीलिए गधा व्यवसाई चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अपने गधा लेकर इस मेले में आना शुरू करते हैं। पवित्र पावनी गंगा में स्वयं स्नान करते हैं और अपने गधों को गंगा स्नान करा कर रंग-बिरंगे रंग से रंगकर गधों को बेचने के लिए मेला मैदान में ले जाते हैं।      

यह गर्दभ मेला धोबी एवं कलंदर समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। दोनों समुदाय के लोग मेले में पहुंचकर अपने गधों का क्रय-विक्रय तो करते ही हैं, अपने बेटा-बेटियों की शादी भी तय करते हैं। मान्यता है कि इस मेले में की गई सगाई काफी सफल एवं सुखदाई होती है। मेला का आयोजन धोबी समुदाय के द्वारा किया जाता है। इस विशाल मेले में आने वाले व्यवसाइयों को बिजली पानी व स्वस्थ सुविधाओं का मुकम्मल इंतजाम नहीं किया जाता है। व्यवसायी मेला क्षेत्र के वृक्षों के नीचे अपना आशियाना बनाते हैं। मेला शीतला देवी धाम परिसर से लगा होने के बावजूद भी मेले से अर्जित आय से कोई भी धनराशि देवी मंदिर विकास के लिए नहीं दिया जाता है। इस संबंध में शीतला देवी मंदिर कमेटी के अध्यक्ष उदय पंडा ने बताया कि पूर्व के वर्षों में मेले से अर्जित आय से एक अंश मंदिर विकास के लिए मिलता था जो अब बंद कर दिया गया है जबकि इस मेले का आयोजन शीतला देवी के नाम से ही आयोजित किया जाता है।

PunjabKesari kundli

 

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