Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Oct, 2023 11:20 AM
पूर्वजों के तर्पण के लिए हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार ये 16 दिनों का समय होता है। इन दिनों में पूर्वज अपनी संतान से मिलने धरती लोक पर आते हैं।
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Pitru Paksha: पूर्वजों के तर्पण के लिए हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार ये 16 दिनों का समय होता है। इन दिनों में पूर्वज अपनी संतान से मिलने धरती लोक पर आते हैं। श्राद्ध के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। वहीं बता दें कि ग्रंथों में पितृ पक्ष से जुड़े कुछ नियम भी बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से पितरों का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस अवधि के दौरान खरीदारी करना वर्जित माना गया है। जो भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है, उसका जीवन हमेशा परेशानियों से घिरा रहता है। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार पितृ पक्ष में कोई भी नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। इस समय में शुरू किया गया कार्य हमेशा विफल साबित होता है। बेहतर यही है कि थोड़ा इन्तजार करें।
अगर बहुत आवश्यक हो तो आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन खरीदारी के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस तिथि पर महालक्ष्मी का स्वामित्व स्थापित है। इस दिन खरीदा गया सोना आठ गुना बढ़ जाता है। विवाह आदि शुभ कामों की शापिंग के लिए तो ये दिन बहुत उत्तम है।
Why is shopping prohibited during Pitru Paksha पितृ पक्ष में खरीदारी क्यों है वर्जित
कोई भी नई चीज खरीदना जश्न मनाने के बराबर होता है। वहीं पितृ पक्ष के समय में पितरों को याद कर के शोक प्रकट किया जाता है। इस वजह से कहा जाता है कि नई वस्तु खरीदना यानी पितरों का अपमान करने के बराबर है। इस दौरान पूजा-पाठ और दान-पुण्य करना शुभ होता है।
Non-veg food is also prohibited during Pitru Paksha पितृपक्ष में नॉनवेज खाना भी होता है वर्जित
मान्यताओं के मुताबिक पितृपक्ष में न ही मदिरा का सेवन किया जाता है और न ही नॉनवेज खाया जाता है। नॉनवेज खाने से मन अशुद्ध हो जाता है और पूजा-पाठ में मन नहीं लगता। यदि आप चाहते हैं कि आपके पितृ आपसे हमेशा प्रसन्न रहें तो पितृपक्ष में कौवा, गाय और कुत्ते को भोजन जरूर करवाएं। किवदंतियों के अनुसार कौओं को पितरों का रूप माना गया है। अगर ये तृप्त हो जाएं तो पूर्वज भी तृप्त हो जाते हैं।