Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Nov, 2022 08:33 AM
आजकल के वातावरण को देखते हुए हमारे नैतिक मूल्यों में जो गिरावट आ रही है यह वैचारिक प्रदूषण है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि,‘‘आचारहीनम न पुनंति वेदा:’ अर्थात आचारहीन व्यक्ति को वेद की शिक्षा भी पवित्र नहीं कर सकती है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Swami Agnyanandi Haridwar: आजकल के वातावरण को देखते हुए हमारे नैतिक मूल्यों में जो गिरावट आ रही है यह वैचारिक प्रदूषण है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि,‘‘आचारहीनम न पुनंति वेदा:’ अर्थात आचारहीन व्यक्ति को वेद की शिक्षा भी पवित्र नहीं कर सकती है।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
प्रत्येक माता-पिता को नई पीढ़ी को बताना चाहिए कि हमें अपने चरित्र को गिरने नहीं देना है क्योंकि जो एक बार गिरता है वह धीरे-धीरे गिरता ही चला जाता है। मनुष्य का जीवन ईश्वरीय संविधान तथा वैदिक नियमों का पालन करने हेतु है। अपने जीवन को सत्य के रास्ते पर ले जाते हुए समाज में अच्छा उदाहरण पेश करने का सभी व्यक्तियों को प्रयास करना चाहिए।
संचार के माध्यमों ने समाज में मानसिक प्रदूषण को और फैलाया है। इसमें मोबाइल ऐसा हथियार है जिसमें आजकल प्राणी गूगल पर सर्च करते हुए अच्छी बातें कम सीखता है बल्कि वह गलत रास्ते पर अधिक जा रहा है। युवा समाज तेजी से नशों की दलदल में धंसता जा रहा है। मानसिक प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। श्रद्धा जैसी घटनाएं इसी का परिणाम हैं।
सदमार्ग पर आगे बढ़ने वाले मनुष्य को रोज अपने अंतर्मन का लेखा-जोखा एकांत में सोचना चाहिए और अपनी प्राथमिकताओं को तय करना चाहिए, यही मनुष्य का लक्ष्य हो।