चीन ने अपने कर्ज से 5 देशों को बनाया कंगाल, बांग्लादेश बनाया नया शिकार

Edited By Updated: 03 May, 2025 05:36 PM

even bangladesh has now collapsed   china to 5 south asian meltdowns

चीन द्वारा दिए जा रहे भारी-भरकम कर्ज़ और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के जाल में फंसकर दक्षिण एशिया के कई देश बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। एक सीरियल उद्यमी के मुताबिक


International Desk: चीन द्वारा दिए जा रहे भारी-भरकम कर्ज़ और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के जाल में फंसकर दक्षिण एशिया के कई देश बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। एक सीरियल उद्यमी के मुताबिक, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और नेपाल जैसे देश अब गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहे हैं, जबकि बांग्लादेश भी गिरावट की ओर बढ़ रहा है। निवेश घट रहा है, कर्ज़ बढ़ रहा है और महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। इस रिपोर्ट में जानिए कैसे चीन का असर इन देशों को धीरे-धीरे कंगाली की ओर ले जा रहा है।

 

कारोबारी  राजेश साहनी  की चेतावनी ने दक्षिण एशिया की आर्थिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।  उद्यमी  राजेश साहनी  ने दावा किया है कि  चीन के रणनीतिक कर्ज, ऊंची ब्याज दर और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की आड़ में कई देशों की आर्थिक रीढ़ टूट रही है। उन्होंने कहा,  श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल  जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाएं या तो गिर चुकी हैं या पतन की कगार पर हैं, और अब बांग्लादेश भी उसी रास्ते पर जा रहा है।

 

 बांग्लादेश: महंगाई, अराजकता और अस्थिर सरकार 
बांग्लादेश में  विरोध प्रदर्शन, कट्टरता और प्रशासनिक अराजकता  का माहौल है। सेना ने भी स्थिति को लेकर चेतावनी दी है। निवेश में गिरावट आई है और  2025 की विकास दर घटकर 3.3%–3.9% तक आ सकती है। अर्थव्यवस्था चालू जरूर है, लेकिन  गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है।

 

 श्रीलंका के लिए चीन से लिया कर्ज बना संकट 
 2022 में दिवालिया घोषित हो चुके श्रीलंका की हालत अभी भी नाजुक है। आधे से ज्यादा विदेशी कर्ज चीन को चुकाना बाकी  है। प्रमुख परियोजनाओं का लाभ सीमित रहा है और  मुद्रा अवमूल्यन तथा महंगाई  ने जनता को बेहाल कर रखा है।
 

मालदीव पर कर्ज का दबाव 
मालदीव की अर्थव्यवस्था का 20% कर्ज  केवल चीन का है।  पर्यटन-निर्भर अर्थव्यवस्था में कोई भी झटका उसे अस्थिर कर सकता है। चीन-मालदीव FTA  ने व्यापार घाटा बढ़ा दिया है और स्थानीय उद्योग दबाव में हैं। 

 

 कंगाली की कगार पर खड़ा पाकिस्तान 
 पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति GDP श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से भी कम है। CPEC परियोजनाओं  के तहत चीन से मिले कर्ज ने एक ओर आधारभूत ढांचा मजबूत किया, लेकिन दूसरी ओर ऋण और जोखिम दोनों बढ़ा  दिया। राजनीतिक अस्थिरता और बेरोजगारी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।

 

अफगानिस्तान और नेपाल 
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था  सहायता पर निर्भर  है और गरीबी चरम पर है। वहीं नेपाल में चीन के साथ बढ़ते  व्यापार घाटे और अधोसंरचना पर बढ़ती निर्भरता ने उसे भी चिंताजनक स्थिति में ला खड़ा किया है। राजेश साहनी का यह विश्लेषण चेतावनी है कि यदि इन देशों ने समय रहते अपने  कर्ज प्रबंधन और रणनीतिक साझेदारी में बदलाव नहीं किया, तो आर्थिक संकट  और गहराएगा।  चीन के प्रभाव को लेकर जारी यह बहस दक्षिण एशियाई देशों के लिए सबक बन सकती है। 
 

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