Edited By Shubham Anand,Updated: 13 Jul, 2025 08:33 PM

विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने तीन दिवसीय विदेश दौरे के पहले चरण में रविवार को सिंगापुर पहुंचे। यहां उन्होंने सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री गन किम योंग से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर सकारात्मक चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि वह भारत-सिंगापुर के...
इंटरनेशनल डेस्क : विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने तीन दिवसीय विदेश दौरे के पहले चरण में रविवार को सिंगापुर पहुंचे। यहां उन्होंने सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री गन किम योंग से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर सकारात्मक चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि वह भारत-सिंगापुर के बीच विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में हो रही लगातार प्रगति को देखकर प्रसन्न हैं।
सोशल मीडिया पर दी जानकारी
जयशंकर ने इस मुलाकात की जानकारी एक्स पर दी। उन्होंने लिखा, "उप प्रधानमंत्री गन किम योंग से मिलकर अच्छा लगा। विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में लगातार प्रगति देखकर प्रसन्न हूं। मैं तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्री स्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR) की प्रतीक्षा कर रहा हूं।" इससे पहले, उन्होंने सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन से भी मुलाकात की। इस पर उन्होंने कहा, "सिंगापुर हमारी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का केंद्र है। यहां विचारों का आदान-प्रदान हमेशा ज्ञानवर्धक होता है।"
सिंगापुर ने भारत को बताया बहुध्रुवीय व्यवस्था का अहम ध्रुव
विदेश मंत्री बालाकृष्णन ने भी इस मुलाकात को लेकर एक्स पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, "जैसे-जैसे दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है, भारत ऐसे प्रमुख अवसरों के ध्रुवों में से एक के रूप में अहम भूमिका निभाएगा।" उन्होंने यह भी कहा कि वह जयशंकर को नई दिल्ली में होने वाले तीसरे ISMR सम्मेलन में देखने के लिए उत्सुक हैं।
बता दें कि ISMR की पहली बैठक सितंबर 2022 में नई दिल्ली में और दूसरी बैठक अगस्त 2023 में सिंगापुर में हुई थी। विदेश मंत्री ने सिंगापुर में टेमासेक होल्डिंग्स के अध्यक्ष-नामित टियो ची हीन से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत में संभावित निवेश अवसरों पर चर्चा की गई।
SCO सम्मेलन में भाग लेने चीन जाएंगे जयशंकर
सिंगापुर दौरे के बाद एस. जयशंकर चीन के तियानजिन शहर जाएंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में भाग लेंगे। यह दौरा कई मायनों में अहम है, क्योंकि यह वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध और गलवान घाटी हिंसा के बाद चीन की उनकी पहली यात्रा होगी। इस पृष्ठभूमि में जयशंकर का यह दौरा भारत की विदेश नीति, द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक साझेदारियों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।