जानिए इजरायल-ईरान के बीच आखिर क्यों छिड़ा युद्ध और क्या है 'परमाणु डील' का पूरा मामला?

Edited By Radhika,Updated: 14 Jun, 2025 12:48 PM

know why the war broke out between israel and iran

ईरान और इजरायल के बीच एक बार फिर से तनाव अपने चरम पर है। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहे हैं और हवाई हमले कर रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल है।

नेशनल डेस्क: ईरान और इजरायल के बीच एक बार फिर से तनाव अपने चरम पर है। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहे हैं और हवाई हमले कर रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल है। आइए समझते हैं कि इस जंग की जड़ें कहां हैं और 'परमाणु डील' इसमें क्या भूमिका निभा रही है।

इजरायल और ईरान के ताजा हमले-

इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान, उसके परमाणु ठिकानों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाते हुए हवाई हमले किए हैं। इन हमलों में ईरान के कई परक्लियर साइंटिस्ट और शीर्ष आर्मी कमांडर मारे जाने की खबर है। ईरान ने भी पलटवार करते हुए इजरायल की राजधानी तेल अवीव साथ ही यरुशलम और गोलान हाइट्स में बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। इन ईरानी हमलों से इजरायल में जानमाल का नुकसान हुआ है। यह सीधी सैन्य कार्रवाई दिखाती है कि दोनों देशों के बीच दुश्मनी अब खुलकर जंग में बदल चुकी है।

आखिर क्यों भड़के हैं जंग के हालात?

इस टकराव की मुख्य वजह ईरान का परमाणु कार्यक्रम है। इजरायल बिल्कुल नहीं चाहता कि ईरान परमाणु हथियार बनाए। इजरायल को डर है कि अगर ईरान परमाणु शक्ति बन गया, तो वह इसका गलत इस्तेमाल कर सकता है और पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा कर सकता है। यही कारण है कि इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को सीधे तौर पर निशाना बनाया है।

 ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, जैसे बिजली उत्पादन और चिकित्सा विज्ञान में परमाणु तकनीक का उपयोग। लेकिन इजरायल का मानना है कि इस दावे की आड़ में ईरान चुपचाप परमाणु हथियार बना रहा है और उनका भंडार कर रहा है।

क्या है JCPOA परमाणु डील?

इस पूरी कहानी के केंद्र में JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) नाम की एक परमाणु डील है, जिसे 'ईरान परमाणु समझौता' के नाम से भी जाना जाता है।

डील का इतिहास:

  • ईरान के दो सबसे बड़े परमाणु संयंत्र नतांज और फोर्डो में यूरेनियम को री-साइकिल करके परमाणु बम बनाने का काम चल रहा था। इन संयंत्रों में हजारों सेंट्रीफ्यूज मशीनें लगी हुई थीं।
  • जब दुनिया को ईरान के इस परमाणु कार्यक्रम का पता चला तो अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। इससे ईरान के तेल आयात-निर्यात पर बुरा असर पड़ा और उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई।
  • प्रतिबंधों को हटाने के लिए ईरान ने अमेरिका से बातचीत की।
  • साल 2015 में, अमेरिका ने ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ मिलकर JCPOA डील पर हस्ताक्षर किए।

डील का मकसद और उल्लंघन-

  • इस डील का मुख्य मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था।
  • डील के तहत अमेरिका ने ईरान पर तेल और व्यापार से जुड़े सभी प्रतिबंध हटा लिए।
  • बदले में ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम सीमित करना था, खासकर यूरेनियम संवर्धन (enrichment) को।
  • आरोप है कि ईरान ने इस डील का उल्लंघन किया और समझौते के बाद भी यूरेनियम का स्टॉक करना जारी रखा।

डील का टूटना और आगे की राह-

  • जब ईरान की इस 'करतूत' का पता चला, तो अमेरिका ने JCPOA समझौते को रद्द कर दिया और ईरान पर और भी सख्त प्रतिबंध लगा दिए।
  • JCPOA को दोबारा लागू करने के लिए मई 2021 में ईरान ने अमेरिका से फिर से बात की, लेकिन यह समझौता दोबारा लागू नहीं हो पाया।
  • पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ हैं और चाहते हैं कि ईरान और अमेरिका के बीच नए सिरे से कोई परमाणु डील हो।
  •  15 जून को दोनों देशों के बीच छठे दौर की वार्ता होनी थी, लेकिन इजरायल के हालिया हमले के बाद ईरान ने अमेरिका से परमाणु डील पर बात करने से इनकार कर दिया है।

यह स्थिति दिखाती है कि परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा ईरान और इजरायल के बीच गहरी दुश्मनी का केंद्र बना हुआ है और जब तक इस पर कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता, क्षेत्र में तनाव बने रहने की आशंका है।

 

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