इजराइल में नेतन्याहू के खिलाफ ऐतिहासिक प्रदर्शन ! सड़कों पर उतरे 5 लाख लोग, प्रोटेस्ट में पुलिस चीफ भी शामिल

Edited By Tanuja,Updated: 12 Mar, 2023 06:06 PM

mass protests against israeli judicial overhaul enter 10th week

इजराइल में  प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ देश के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन देखा गया । इस दौरान शनिवार को करीब ...

इंटरनेशनल डेस्कः इजराइल में  प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ देश के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन देखा गया । इस दौरान शनिवार को करीब 5 लाख लोग सड़कों पर उतर आए। 10  सप्ताह  से लोग नेतन्याहू के उस बिल का विरोध कर रहे हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम किया गया है। द टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक केवल इजराइल की राजधानी तेल अवीव में 2 लाख लोग प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट पर अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो गुरुवार के दिन ये प्रदर्शन और तेज हो जाएंगे। शनिवार को हुए प्रदर्शन में सरकार का समर्थन करने वाले लोगों ने प्रदर्शनकारियों पर अंडे फेंके।

 

इसके बाद पुलिस ने हदेरा इलाके से दो लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। वहीं तीन प्रदर्शनकारियों पर भी तेल अवीव में हाइवे को ब्लॉक करने के आरोप में पकड़ा गया। प्रदर्शनकारियों पर इस तरह की कार्रवाई के बाद रास्ते को फिर से खुलवा दिया गया। इसे इजराइल के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया जा रहा है।  खास बात यह है कि इजराइल में  आम लोग ही नहीं बल्कि  पुलिस अधिकारी और बिजनेसमैन भी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। शनिवार को  प्रोटेस्ट में तेल अवीव के पुलिस चीफ एमिशाई अशेद ने शामिल होकर सरकार को झटका दे दिया।

 

जैसे ही अशेद प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे तो तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनका स्वागत किया गया। हालांकि इसके बाद उन्हें पद से हटाकर कहीं और ट्रांसफर कर दिया गया। बता दें कि पिछले महीने इजराइल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक प्रस्ताव जारी किया।  इसके पास होने पर इजराइली संसद को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पलटने का अधिकार मिल जाएगा। इसे ‘ओवरराइड’ बिल नाम दिया गया है। अब अगर ये बिल पास हो जाता है तो संसद में जिसके पास भी बहुमत होगा, वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट सकेगा। लोगों का मानना है कि इससे देश का लोकतंत्र और सुप्रीम कोर्ट कमजोर होगा। माडिया रिपोर्ट के मुताबिक नए बिल से निवार्चित सरकारें जजों की नियुक्ति में दखल दे सकती हैं। जिसे सही और निष्पक्ष फैसले लेनी की ज्युडिशियरी की पावर कम हो जाएगी।

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