Edited By Tanuja,Updated: 07 Jun, 2023 03:07 PM
आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान का उसके खास दोस्त चीन ने भी साथ छोड़ दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन की...
इस्लामाबाद: आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान का उसके खास दोस्त चीन ने भी साथ छोड़ दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन की दोस्ती पाकिस्तान को भारी पड़ रही है । शहबाज सरकार पर कुल कर्ज 34 फीसदी बढ़ गया है। पाक सरकार पर अप्रैल महीने के अंत तक यह कर्ज 58.6 ट्रिलियन रुपए पहुंच गया है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने यह आंकड़ा जारी किया है जिसमें 36.5 ट्रिलियन जहां घरेलू कर्ज है, वहीं विदेशी कर्ज भी 22 ट्रिलियन रुपS पहुंच गया है। पाकिस्तान कर्ज के बोझ से दब चुका है और अब वह कर्ज चुकाने के लिए कर्ज मांग रहा है। पाकिस्तान के कई बार गुहार लगाने के बाद भी आईएमएफ ने अब तक कर्ज नहीं दिया है जिससे देश के डिफॉल्ट होने का खतरा गहरा गया है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि IMF जहां युद्धग्रस्त यूक्रेन को लोन दे रहा है, वहीं पाकिस्तान के बार-बार भीख मांगने के बाद भी उसे लोन नहीं मिल रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की में एक बार फिर से आशा जताई है कि IMF पाकिस्तान का प्रोग्राम फिर से बहाल कर देगा। शहबाज भले ही उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसके दूर-दूर आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इस प्रोग्राम की आखिरी डेडलाइन जून तक ही है। विश्लेषकों ने कहा कि IMF पर अमेरिका का काफी प्रभाव है और पहले उसके एक फोन से पाकिस्तान को लोन मिल जाता था लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन की बढ़ती नजदीकी और अमेरिका और ड्रैगन के बीच तनाव अब इस्लामाबाद के लिए संकट का विषय बन गया है। आईएमएफ चीन की वजह से कर्ज देने से आनाकानी कर रहा है। वहीं आईएमएफ के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान उनसे लोन लेकर चीन का कर्ज चुका रहा था जिसकी वजह से उन्हें पैसा नहीं दिया जा रहा है। इस बीच IMF के बेलआउट कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए पाकिस्तान सरकार के दबाव ने अब देश की वैश्विक छवि पर नकारात्मक प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है।
इससे पाकिस्तान के मित्र राष्ट्रों के रुख में बड़ा बदलाव आया है। तुर्की, चीन, सऊदी अरब और यूएई जैसे पाकिस्तान के मित्र देश भी अब अपनी नीति में बदलाव करते दिख रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के प्रति IMF की इस उपेक्षा का एक प्रमुख कारण देश में राजनीतिक अशांति है। यही वजह है कि वे मदद नहीं कर रहे हैं और पाकिस्तान को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।