Edited By Tanuja,Updated: 10 Jul, 2025 12:04 PM

अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं की आज़ादी और निजता को कुचलने वाला एक और कड़ा आदेश जारी किया है। तालिबान के एक शीर्ष नेता ने आदेश दिया है कि ...
International Desk: अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं की आज़ादी और निजता को कुचलने वाला एक और कड़ा आदेश जारी किया है। तालिबान के एक शीर्ष नेता ने आदेश दिया है कि अब देश में किसी भी इमारत की खिड़कियां ऐसी जगह पर नहीं बनेंगी, जहां से महिलाओं को देखा जा सके चाहे वो बैठी हों या खड़ी।यह आदेश अफगान महिलाओं की निजता, स्वतंत्रता और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी के अधिकारों का सीधा उल्लंघन माना जा रहा है। तालिबान के इस नए फरमान के बाद अब मकानों, सरकारी दफ्तरों और सार्वजनिक भवनों के डिजाइन को बदलने की आशंका जताई जा रही है।
तालिबान सरकार के इस आदेश में साफ कहा गया है कि कोई भी खिड़की, बालकनी या ऐसी जगह नहीं होनी चाहिए, जहां से किसी बाहरी व्यक्ति को अंदर मौजूद महिलाओं की झलक तक मिल सके। इसके पीछे तालिबान का तर्क है कि इससे महिलाओं की 'इज़्ज़त' और 'परंपरा' सुरक्षित रहेगी। लेकिन मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि असल में यह फरमान महिलाओं को और ज्यादा घर की चारदीवारी में कैद करने की कोशिश है। तालिबान ने सत्ता में लौटने के बाद से महिलाओं के लिए पहले ही कई कठोर नियम लागू कर रखे हैं जिनमें...
- लड़कियों की माध्यमिक और उच्च शिक्षा लगभग पूरी तरह से बंद।
- महिला पत्रकारों, सरकारी कर्मचारियों और एनजीओ में काम करने वाली महिलाओं पर पाबंदी।
- अकेले यात्रा करने पर रोक और सार्वजनिक जगहों पर चेहरे को ढकने का सख्त आदेश।
- अब खिड़कियों और बालकनियों पर भी रोक।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने तालिबान के इस आदेश की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह फरमान महिलाओं को और ज्यादा अदृश्य बनाने का प्रयास है। इससे महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जीवन पर पहले से ज्यादा असर पड़ेगा।तालिबान के इस ताजा आदेश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा। खिड़कियों से लेकर किताबों तक, तालिबान की पाबंदियां अफगान महिलाओं को घुटन भरी जिंदगी जीने को मजबूर कर रही हैं।