Edited By Pardeep,Updated: 29 Dec, 2025 11:45 PM

करीब 800 फीट लंबा एक विशाल मालवाहक जहाज सिर्फ पांच बड़ी शिप-टू-शोर क्रेनों को पहुंचाने के लिए लगभग 19,700 नॉटिकल मील (करीब 37,000 किलोमीटर) का लंबा समुद्री सफर तय कर गया। इस जहाज का नाम झेन हुआ 29 (Zhen Hua 29) है।
नेशनल डेस्कः करीब 800 फीट लंबा एक विशाल मालवाहक जहाज सिर्फ पांच बड़ी शिप-टू-शोर क्रेनों को पहुंचाने के लिए लगभग 19,700 नॉटिकल मील (करीब 37,000 किलोमीटर) का लंबा समुद्री सफर तय कर गया। इस जहाज का नाम झेन हुआ 29 (Zhen Hua 29) है।
यह जहाज 20 जून को चीन के शंघाई बंदरगाह से रवाना हुआ। पहले यह दक्षिण चीन सागर से होकर पश्चिम की ओर बढ़ा और फिर हिंद महासागर को पार किया। तीन महासागरों को पार करते हुए और समुद्र में तीन महीने से ज्यादा समय बिताने के बाद यह जहाज अक्टूबर में जमैका के किंग्स्टन पोर्ट पर पहुंचा।
जमैका और अमेरिका के लिए थीं ये क्रेन
जहाज पर लदी ये विशाल क्रेन चीन में बनी थीं। इन्हें जमैका के बंदरगाहों और अमेरिका के गल्फ कोस्ट (खाड़ी तट) के बंदरगाहों पर लगाया जाना था। दशकों से ऐसे लंबे समुद्री सफर वैश्विक व्यापार का हिस्सा रहे हैं, जहां भारी मशीनें एक देश में बनती हैं और दुनिया के दूसरे कोने में भेजी जाती हैं। लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, झेन हुआ 29 का यह सफर आज के दौर में अत्यधिक लंबे शिपिंग रूट्स को लेकर चिंता भी पैदा करता है।
अमेरिका को चीन की बनी क्रेनों पर भरोसे से चिंता
अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट—दोनों सरकारों ने चीन में बनी क्रेनों पर निर्भरता को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम हो सकता है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, आज अमेरिका के बंदरगाहों पर लगी करीब 80% शिप-टू-शोर क्रेन चीन में बनी हुई हैं। इसी वजह से व्हाइट हाउस अब अमेरिकी बंदरगाहों से कह रहा है कि वे चीन के अलावा अन्य देशों से क्रेन खरीदें और अमेरिका में घरेलू क्रेन निर्माण को फिर से शुरू किया जाए। हालांकि, यह बदलाव आसान नहीं है, क्योंकि पिछले करीब 20 सालों से चीनी क्रेन सबसे सस्ती और आसानी से उपलब्ध विकल्प रही हैं।
पनामा नहर से नहीं जा सका जहाज, इसलिए बदला रास्ता
आमतौर पर अगर शंघाई से अमेरिका के मिसिसिपी तक जहाज जाए, तो वह प्रशांत महासागर और पनामा नहर से होकर करीब एक महीने में पहुंच सकता है। लेकिन झेन हुआ 29 ऐसा नहीं कर सका। वजह यह थी कि जहाज पर लदी क्रेनों के लंबे बाजू (बूम्स) जहाज के किनारों से बाहर निकले हुए थे। पनामा नहर प्रशासन ऐसे ओवरहैंगिंग कार्गो की इजाजत नहीं देता, क्योंकि इससे नहर के लॉक और अन्य ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है। इसी कारण जहाज को दुनिया का लंबा चक्कर लगाना पड़ा।
अफ्रीका का दक्षिणी सिरा सबसे खतरनाक पड़ाव
इस पूरे सफर का सबसे मुश्किल और खतरनाक हिस्सा था अफ्रीका के दक्षिणी सिरे पर स्थित केप ऑफ गुड होप जहाज के कप्तान टाय मैकमाइकल के मुताबिक, “जहाज को मोजाम्बिक के तट के पास करीब दो हफ्ते और दक्षिण अफ्रीका के तट के पास एक हफ्ते तक रुकना पड़ा, क्योंकि केप ऑफ गुड होप के पास 12 फीट ऊंची समुद्री लहरें शांत होने का इंतजार किया जा रहा था।” उन्होंने बताया कि जहाज ने 14 अगस्त को अफ्रीका का चक्कर पूरा किया और फिर अटलांटिक महासागर को पार किया।
अमेरिका पहुंचा जहाज, फिर जमैका
अटलांटिक पार करते हुए जहाज वेनेजुएला के उत्तरी तट के पास से गुजरा और 11 सितंबर को अमेरिका के गल्फपोर्ट (मिसिसिपी) पहुंचा। इसके बाद टेक्सास और जमैका में क्रेनों को उतारा गया।
वापसी में पनामा नहर से गुजरा जहाज
क्रेन उतारने के बाद जहाज अब हल्का हो चुका था, इसलिए वापसी के समय वह छोटा रास्ता चुन सका. इस बार झेन हुआ 29 पनामा नहर से होकर लौटा। इस तरह उसने करीब 6 महीने में पूरी दुनिया का चक्कर लगाया और आखिरकार 3 दिसंबर को वापस शंघाई पहुंच गया।