Edited By Shubham Anand,Updated: 11 Jul, 2025 08:37 PM

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब भारत-रूस की ऊर्जा साझेदारी को लेकर वॉशिंगटन में हलचल तेज हो गई है। अमेरिकी सीनेट में दो प्रमुख नेताओं रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेटिक नेता रिचर्ड ब्लूमेंथल ने मिलकर एक कठोर बिल पेश किया है,...
इंटरनेशनल डेस्क : अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब भारत-रूस की ऊर्जा साझेदारी को लेकर वॉशिंगटन में हलचल तेज हो गई है। अमेरिकी सीनेट में दो प्रमुख नेताओं रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेटिक नेता रिचर्ड ब्लूमेंथल ने मिलकर एक कठोर बिल पेश किया है, जिसका नाम है "Sanctioning Russia Act of 2025"। इस प्रस्तावित कानून के तहत उन देशों पर कड़ा आर्थिक दंड लगाया जाएगा जो रूस से तेल, गैस या यूरेनियम खरीदते हैं। जिनमें भारत और चीन प्रमुख हैं।
रूस से तेल खरीदने पर लगेगा 500% टैक्स
इस बिल का मकसद रूस की ऊर्जा बिक्री से होने वाली आमदनी को कम करना और यूक्रेन युद्ध के लिए उसे मिलने वाले संसाधनों को रोकना है। बिल में प्रावधान है कि जो भी देश रूस से ऊर्जा उत्पाद खरीदेंगे, उनके अमेरिका में आने वाले निर्यात पर 500% तक टैरिफ (कर) लगाया जाएगा। सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कहा, “यह कानून जरूरी है ताकि दुनिया ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भर न रहे और यूक्रेन पर उसके आक्रमण की कीमत उसे चुकानी पड़े।”
भारत पर पड़ेगा सबसे बड़ा असर
भारत के लिए यह बिल काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। साल 2024 में भारत ने अपने कुल तेल आयात का करीब 35% हिस्सा रूस से खरीदा था। भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर घरेलू महंगाई पर नियंत्रण रखने की नीति अपनाई थी, लेकिन अगर यह कानून लागू हुआ, तो अमेरिका को भेजे जाने वाले भारतीय सामान की लागत इतनी बढ़ जाएगी कि वह बाजार में प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाएगा।
अमेरिकी संसद में मजबूत समर्थन
इस कानून को रिपब्लिकन और डेमोक्रेट — दोनों पार्टियों के 80 से ज्यादा सांसदों का समर्थन प्राप्त है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल केवल रूसी कंपनियों या बैंकों पर नहीं, बल्कि रूस से ऊर्जा खरीदने वाले देशों की आर्थिक रीढ़ पर भी हमला करेगा।
ट्रंप के पास है विशेष अधिकार
इस प्रस्ताव में अमेरिका के भावी राष्ट्रपति जो कि संभवतः डोनाल्ड ट्रंप हो सकते हैं, की भूमिका अहम होगी। राष्ट्रपति के पास यह अधिकार होगा कि वह इस टैरिफ को 180 दिनों तक टाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें अमेरिकी कांग्रेस से अनुमति लेनी होगी।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर संकट
अगर यह बिल कानून बनता है, तो भारत समेत रूस से तेल खरीदने वाले कई देशों के लिए अमेरिका को निर्यात करना लगभग असंभव हो जाएगा। इससे न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, बल्कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में भी दरार आ सकती है।