Edited By SS Thakur,Updated: 08 Feb, 2023 04:53 PM
रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी ए.एम.आर. ऐसी स्थिति है जब सूक्ष्मजीव, बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी आदि अपने को समय के साथ बदल लेते हैं और उन पर दवाओं का भी असर नहीं होता है।
जालंधर, नैशनल डैस्क: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (ए.एम.आर.) के खतरनाक स्तर पर बढ़ने से 2050 तक सालाना 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। यह 2020 में कैंसर से होने वाली वैश्विक मौतों की दर के बराबर होगी। इस बात का खुलासा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.) की ताजा रिपोर्ट में किया गया है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी ए.एम.आर. ऐसी स्थिति है जब सूक्ष्मजीव, बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी आदि अपने को समय के साथ बदल लेते हैं और उन पर दवाओं का भी असर नहीं होता है। जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी के प्रसार और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
2.4 करोड़ लोग हो सकते है अत्यधिक गरीब
यू.एन.ई.पी. के दस्तावेज में कहा गया है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो ए.एम.आर. के खतरे से अत्यधिक आर्थिक नुकसान हो सकता है, जो 2030 तक सालाना कम से कम 3.4 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद की गिरावट के साथ 2.4 करोड़ और लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल देगा। ए.एम.आर. के प्रसार का अर्थ है मनुष्यों, जानवरों और पौधों में संक्रमण को रोकना आधुनिक चिकित्सा के दायरे से बाहर हो जाएगा। बारबाडोस में आयोजित ए.एम.आर. पर ग्लोबल लीडर्स ग्रुप की छठी बैठक में रिपोर्ट 'ब्रेसिंग फॉर सुपरबग्स: स्ट्रेंथनिंग एनवायर्नमेंटल एक्शन टू द वन हेल्थ रिस्पॉन्स टू एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस' लॉन्च की गई है।
प्रदूषण को कम करके रुक सकता है संकट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोगाणुरोधी और अन्य माइक्रोबियल पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण सीवेज जैसे स्रोतों से विकसित होते हैं। इसलिए फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और स्वास्थ्य देखभाल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करने से सुपरबग्स के विकास, संचार और प्रसार को रोका जा सकता है। सुपरबग्स बैक्टीरिया हैं जिन पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता है। रिपोर्ट कहती है कि मानव स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र से परे ए.एम.आर. के विकास, संचार और प्रसार में पर्यावरणीय कारकों की प्रभावशाली भूमिका को आखिरकार समझा जा रहा है।
क्या कहते है यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक
हालांकि ए.एम.आर. के उदय में पर्यावरणीय कारकों के योगदान के पैमाने का सही-सही पता लगाना अभी बाकी है। जलवायु परिवर्तन ए.एम.आर. में वृद्धि के पीछे एक और कारण है। यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगेर एंडरसन ने कहा है कि वायु, मिट्टी और जलमार्गों का प्रदूषण स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के मानव अधिकार को कमजोर करता है। यह वे कारक हैं जो पर्यावरणीय गिरावट का कारण बनते हैं और यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध समस्या को और भी बदतर बना रहे हैं। रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और खाद्य प्रणालियों को नष्ट कर सकते हैं।