'मेरा बेटा अब दुनिया में नहीं रहा, कम से कम उसका स्पर्म दे दो...', हाईकोर्ट में मां ने लगाई गुहार

Edited By Updated: 28 Jun, 2025 01:56 PM

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बॉम्बे हाई कोर्ट में हाल ही में एक बेहद भावनात्मक और अनोखी याचिका दाखिल की गई, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह याचिका एक ऐसी मां की है, जिसने अपने बेटे को कैंसर के कारण खो दिया। अब वह चाहती है कि उसका वंश आगे बढ़े और इसके लिए वह अपने मृत...

नेशनल डेस्क: बॉम्बे हाई कोर्ट में हाल ही में एक बेहद भावनात्मक और अनोखी याचिका दाखिल की गई, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह याचिका एक ऐसी मां की है, जिसने अपने बेटे को कैंसर के कारण खो दिया। अब वह चाहती है कि उसका वंश आगे बढ़े और इसके लिए वह अपने मृत बेटे के स्पर्म को प्राप्त करना चाहती है। बता दें मूल याचिकाकर्ता एक बुजुर्ग महिला हैं, जिनके इकलौते बेटे को कुछ समय पहले कैंसर हो गया था। डॉक्टरों ने इलाज शुरू करने से पहले सलाह दी थी कि वह अपने शुक्राणु (स्पर्म) फ्रीज करवा ले क्योंकि कीमोथेरेपी की वजह से उसकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। बेटे ने डॉक्टर की सलाह मानते हुए एक फर्टिलिटी सेंटर में जाकर अपने स्पर्म को सुरक्षित रखवा दिया। इस दौरान उसने एक फॉर्म पर हस्ताक्षर करते हुए यह विकल्प चुना कि उसकी मृत्यु के बाद उसके स्पर्म को नष्ट कर दिया जाए।

बेटे की मौत के बाद मां की गुहार

16 फरवरी को उस युवक की कैंसर से मौत हो गई। मां ने जब फर्टिलिटी सेंटर से संपर्क कर बेटे के स्पर्म की मांग की, तो सेंटर ने मना कर दिया क्योंकि मृतक पहले ही फॉर्म में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख कर चुका था कि उसके निधन के बाद स्पर्म को नष्ट कर दिया जाए। अब मां का कहना है कि उसके पति और बेटे दोनों की मृत्यु हो चुकी है। घर में अब कोई पुरुष सदस्य नहीं बचा है। वह चाहती हैं कि मृत बेटे के स्पर्म की मदद से सरोगेसी के जरिए परिवार की वंश परंपरा को आगे बढ़ाया जाए।

कोर्ट का रुख और अंतरिम आदेश

यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस मनीष पिताले की एकल पीठ के समक्ष पेश किया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि यदि स्पर्म नष्ट हो जाते हैं तो याचिका का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए कोर्ट ने फिलहाल यह आदेश दिया कि जब तक याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक फर्टिलिटी सेंटर युवक के स्पर्म को सुरक्षित रखे। 

महिला की दलील

याचिका में महिला ने यह भी कहा है कि उसके बेटे ने वह फॉर्म बिना परिवार से सलाह लिए भर दिया था। अगर बेटे को परिवार की स्थिति और मां की भावना का अंदाजा होता, तो शायद वह ऐसा फैसला नहीं करता। अब चूंकि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं बचा है, ऐसे में वह स्पर्म के जरिए सरोगेसी का सहारा लेकर वंश को आगे बढ़ाना चाहती हैं। महिला ने कोर्ट से यह आग्रह किया है कि उसे अपने बेटे के स्पर्म तक पहुंचने का अधिकार दिया जाए।

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