Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 Jun, 2025 10:45 AM

12 जून को अहमदाबाद में हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे ने न केवल सैकड़ों जानें लीं, बल्कि कई परिवारों को गहरी आर्थिक और भावनात्मक चोट भी पहुंचाई। हादसे के बाद बीमा कंपनियों के सामने ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां बीमा लेने वाला (Policy Holder) और...
नेशनल डेस्क: 12 जून को अहमदाबाद में हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे ने न केवल सैकड़ों जानें लीं, बल्कि कई परिवारों को गहरी आर्थिक और भावनात्मक चोट भी पहुंचाई। हादसे के बाद बीमा कंपनियों के सामने ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां बीमा लेने वाला (Policy Holder) और उसका नामित व्यक्ति (Nominee) दोनों ही इस दुर्घटना में जान गंवा बैठे। अब सवाल उठता है कि बीमा की रकम का हकदार कौन होगा?
क्लेम के लिए अब क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी?
अगर किसी बीमा पॉलिसी में पॉलिसीधारक और नामित दोनों की मौत हो जाती है, तो बीमा राशि जब्त नहीं की जाती बल्कि वह व्यक्ति की संपत्ति मानी जाती है। ऐसी स्थिति में वह कानूनी उत्तराधिकारियों को दी जाती है। इस प्रक्रिया को लेकर अब इंश्योरेंस कंपनियां नियमों में थोड़ी लचीलापन दिखा रही हैं।
क्या कहती हैं बीमा कंपनियां?
जैसे ही यह हादसा हुआ, देश की प्रमुख बीमा कंपनियों LIC, IFFCO Tokio और Tata AIG जैसे नामों को ऐसे ही मामलों के क्लेम मिलने लगे। LIC ने स्पष्ट किया कि वह कोर्ट के ऑर्डर का इंतजार किए बिना उत्तराधिकारियों से डिक्लेरेशन और इंदेम्निटी बॉन्ड स्वीकार कर रही है, जिससे जल्द से जल्द भुगतान किया जा सके।
कैसे तय होते हैं कानूनी वारिस?
हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बीमा की रकम के हकदार को तय करने के लिए दो श्रेणियों को देखा जाता है:
-
क्लास 1 लीगल हीर: इसमें बेटा, बेटी, पत्नी, मां जैसे करीबी सदस्य आते हैं।
-
क्लास 2 लीगल हीर: अगर क्लास 1 में कोई नहीं है, तो पिता, भाई, बहन, भतीजा-भतीजी आदि को प्राथमिकता मिलती है।
यदि क्लास 1 के एक से ज्यादा सदस्य हों, तो सभी को बराबर हिस्सेदारी दी जाती है।
कोर्ट के बजाय आपसी सहमति से भी हो सकता है क्लेम
इंश्योरेंस कंपनियां अब यह विकल्प दे रही हैं कि अगर सभी उत्तराधिकारी आपसी सहमति से तय कर लें कि पैसे का बंटवारा कैसे होना है, तो वे कोर्ट के आदेश का इंतजार किए बिना भुगतान कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए सभी कानूनी वारिसों से सहमति पत्र लिया जाएगा।
क्लेम करते समय किन दस्तावेजों की जरूरत?
-
मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate)
-
बीमा पॉलिसी की कॉपी
-
उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या पारिवारिक घोषणा पत्र
-
बैंक डिटेल्स
-
पहचान पत्र (Aadhar, PAN आदि)