दिल्ली सरकार का यू-टर्न, पुरानी गाड़ियों पर लगे बैन से मिली राहत, अब 1 नवंबर से पांच जिलों में लागू होगी योजना

Edited By Updated: 08 Jul, 2025 08:01 PM

delhi government takes a uturn gets relief from ban on old vehicles

दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। फिलहाल ओवरएज्ड वाहनों पर लगे बैन को हटा दिया गया है। अब यह योजना 1 नवंबर 2025 से लागू की जा सकती है और इसकी शुरुआत दिल्ली से नहीं बल्कि...

National Desk : दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। फिलहाल ओवरएज्ड वाहनों पर लगे बैन को हटा दिया गया है। अब यह योजना 1 नवंबर 2025 से लागू की जा सकती है और इसकी शुरुआत दिल्ली से नहीं बल्कि आसपास के पांच जिलों से की जाएगी।

पहले चरण में इन जिलों में लागू होगी योजना
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, यह योजना पहले चरण में गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और सोनीपत में लागू होगी। इस फैसले पर अंतिम मुहर 1 नवंबर से पहले लगाई जा सकती है। दिल्ली सरकार के इस यू-टर्न से लोगों को राहत मिली है, खासकर मिडिल क्लास परिवारों को जो अब भी पुरानी गाड़ियों का उपयोग कर रहे हैं।

CAQM बैठक में लिया गया था निर्णय
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण निकाय CAQM (Commission for Air Quality Management) की मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। बैठक में निर्णय लिया गया कि फिलहाल दिल्ली में यह योजना लागू करना उचित नहीं होगा। सुझाव दिया गया कि नवंबर से पहले इसकी शुरुआत एनसीआर के सीमित जिलों में की जाए।

उपराज्यपाल ने जताई थी नाराजगी
इस फैसले को लेकर उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना भी नाराज थे। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर अपनी असहमति जाहिर की थी। उन्होंने लिखा कि दिल्ली इस तरह की योजना के लिए फिलहाल तैयार नहीं है और इससे मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने मांग की थी कि इस फैसले को स्थगित किया जाए। इसके बाद सरकार को भी कदम पीछे खींचने पड़े और फैसले को वापस लेना पड़ा।

आतिशी ने कसा भाजपा पर तंज
इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ा। आप की नेता और पूर्व मंत्री आतिशी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “दिल्ली में भाजपा सरकार चला रही है या फुलेरा की पंचायत? एक दिन वे निर्णय लेते हैं, अगले दिन खुद ही कहते हैं कि निर्णय ठीक नहीं है। फिर पत्र लिखते हैं। यदि निर्णय गलत था तो लिया क्यों? और अगर सही था, तो वापस क्यों लिया गया?” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार कार निर्माताओं, स्क्रैपर्स और कार विक्रेताओं के साथ मिली हुई है, इसलिए इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं।

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