Edited By vasudha,Updated: 14 Jan, 2021 11:29 AM
कृषि कानूनों को लेकर किसानाें और सरकार के बीच गतिरोध अभी भी कायम है। सरकार से कई दौर की वार्ता और सुप्रीम कोर्ट की दखल के बावजूद भी किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर डटे हुए हैं। इस बीच, सरकार और किसान संगठनों के बीच 15 जनवरी को होने वाली...
नेशनल डेस्क: कृषि कानूनों को लेकर किसानाें और सरकार के बीच गतिरोध अभी भी कायम है। सरकार से कई दौर की वार्ता और सुप्रीम कोर्ट की दखल के बावजूद भी किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर डटे हुए हैं। इस बीच, सरकार और किसान संगठनों के बीच 15 जनवरी को होने वाली नए दौर की बातचीत को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। माना जा रहा है कि आज किसान केंद्र से बातचीत को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने भी बैठक से पहले सीनियर अफसरों और वकीलों के साथ चर्चा की।
कमेटी के साथ बातचीत करने से इंकार
दरअसल 15 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली वार्ता से पहले किसान जत्थेबंदियों ने साफ कर दिया कि वह किसी भी सूरत में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से बात नहीं करेंगे। क्योंकि, कमेटी सरकार के लिए ही काम करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने किसान मुद्दे पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। इसके अलावा अदालत ने मामले के निपटारे के लिए एक समिति गठित की है, जो केंद्र और किसान पक्ष के बीच सुलह कराने या कृषि कानूनों को लेकर जारी विवाद को खत्म करने का काम करेगी।
सरकार बैठक को लेकर कर रही मंथन
वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार में इस बात पर मंथन चल रहा है कि प्रस्तावित बैठक करवाई जाए या नहीं। किसान आंदोलन ख़त्म करने के लिए 8 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच हुईं आठवीं दौर की बैठक में ये तय हुआ था कि अगली दौर की बातचीत 15 जनवरी को होगी, लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कमिटी बनाने का आदेश देकर सरकार के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। सूत्रों के मुताबिक़ सरकार इस मसले पर क़ानूनी जानकारों की राय ले रही है।
कृषि कानूनों की जलाई गई प्रतियां
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को लोहड़ी के मौके पर प्रदर्शन स्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं। संयुक्त किसान मोर्चा के परमजीत सिंह ने कहा कि अकेले सिंघू बॉर्डर पर ही कृषि कानूनों की एक लाख प्रतियां जलाई गईं। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कतार में लकड़ियां एकत्र कर जलाई गईं और उसके चारों तरफ घूमते हुए किसानों ने नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं। इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने नारे लगाए, गीत गाए और अपने आंदोलन की जीत की प्रार्थना की।
दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं किसान
गौरतलब है कि हजारों किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ 28 नवम्बर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।