खरगे का हमला: देश में लागू है 'अघोषित आपातकाल', मोदी सरकार छिपा रही है नाकामी

Edited By Updated: 25 Jun, 2025 05:47 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को आपातकाल की 50वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हमले को लेकर उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि पिछले 11 साल से देश में ‘‘अघोषित आपातकाल' है तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मोदी सरकार की विफलताओं...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को आपातकाल की 50वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हमले को लेकर उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि पिछले 11 साल से देश में ‘‘अघोषित आपातकाल'' है तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मोदी सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का नाटक कर रही है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए यह दावा किया कि निर्वाचन आयोग मोदी सरकार की कठपुतली बन गया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारण ही आज संविधान संकट में है।

खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिनका देश की आजादी के आंदोलन और संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा। जिन लोगों ने इस संविधान को बनाने में सहयोग नहीं किया। जो लोग हमेशा संविधान के खिलाफ बात करते रहे, वे आज तरह-तरह की बातें कर रहे हैं।'' उन्होंने दावा किया, ‘‘जिस संविधान को बाबा साहेब आंबेडकर जी, (जवाहर लाल) नेहरू जी, (महात्मा) गांधी जी और संविधान सभा ने तैयार किया था, उसे भी आरएसएस के लोगों ने रामलीला मैदान में जलाया था। यही नहीं, आरएसएस के लोगों ने बाबा साहेब आंबेडकर जी, नेहरू जी और गांधी जी का पुतला भी जलाया था।''

खरगे ने कहा, ‘‘आरएसएस के लोगों का कहना था कि जो संविधान बाबा साहेब आंबेडकर जी ने बनाया है, उसमें हमारी पारंपरिक संस्कृति और मनुस्मृति के अंश नहीं हैं, इसलिए हम इस संविधान को नहीं मानेंगे।'' उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा हमारे देशव्यापी ‘संविधान बचाओ आंदोलन' से घबरा गई है, इसीलिए आज वे लोग फिर से आपातकाल की बात कर रहे हैं।'' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि जो लोग अपने शासन में नाकामयाब रहे और जिनकी खुद की सरकार में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक बदहाली चरम पर है, वे आज लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।''

खरगे ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार गरीब को और गरीब, अमीर को और अमीर बना रही है। हालात ये हैं कि देश में गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, जिसे ये मिटा नहीं सकते। भाजपा सरकार में चुनिंदा उद्योगपतियों को ही सब सौंपा जा रहा है। नरेन्द्र मोदी अपने ही दोस्तों को देश का सारा धन सौंप रहे हैं।'' उन्होंने यह आरोप लगाया कि यह एक तरह से ‘अघोषित आपातकाल' है तथा सरकार संविधान और संसद का सम्मान नहीं करती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार अपनी नाकामी और कमजोरी छिपाना चाहती है। लोगों का ध्यान असल मुद्दों पर न जाए इसलिए ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह की बातें करती रहती है।

जब राहुल गांधी जी देश में जगह-जगह जाकर संविधान बचाने की बात कर रहे हैं, जिससे लोगों में जोश और जज्बा आया है। तब नरेन्द्र मोदी उस जोश को ख़त्म करने के लिए देश में बहुत बड़ा नाटक कर रहे हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संसद में मनमाने ढंग से कानून पारित करवाती है। उन्होंने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बहुत बड़ी आतंकी घटना हुई, हमने इसके लिए एक विशेष संसद सत्र की मांग की थी, लेकिन सरकार ने ये मांग नहीं मानी। हमने ये भी कहा कि एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए, जिसमें नरेन्द्र मोदी भी मौजूद रहें। लेकिन नरेन्द्र मोदी सर्वदलीय बैठक को छोड़कर, बिहार में प्रचार करते रहे, दूसरे देशों के दौरे पर निकल गए।''

खरगे ने कहा, ‘‘मोदी जी खुद को असली देशभक्त कहते हैं, लेकिन सर्वदलीय बैठक में नहीं आते, जनता से जुड़ी बातें नहीं सुनते। इससे पता चलता है कि इन्हें देशवासियों से कितनी हमदर्दी है?'' उन्होंने मणिपुर हिंसा का उल्लेख किया और पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी अब तक वहां क्यों नहीं आए? खरगे ने दावा किया, ‘‘अगर आज हमारा संविधान संकट में है, तो वह नरेन्द्र मोदी की वजह से है। नरेन्द्र मोदी देश को बर्बाद कर रहे हैं। कोई छात्र देशहित में बात करता है तो उसे देशद्रोही बताया जाता है। कोई पत्रकार कुछ लिखता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है। कोई पत्रिका सरकार की खामियों पर लिखती है तो उसे भी नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता।''

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि आपातकाल के दौरान संविधान की भावना का कैसे उल्लंघन किया गया। उन्होंने संवैधानिक सिद्धांतों को मजबूत करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि आपातकाल में संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया और बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाला गया। 

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