Edited By vasudha,Updated: 28 Dec, 2020 11:05 AM
असम में सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का विधेयक आज राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा। असम विधानसभा का तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि वह विधानसभा में मदरसों को लेकर विधेयक पेश...
नेशनल डेस्क: असम में सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का विधेयक आज राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा। असम विधानसभा का तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि वह विधानसभा में मदरसों को लेकर विधेयक पेश करेंगे। इसके पास होने के बाद राज्य में सरकारी मदरसों का संचालन बंद हो जाएगा। असम कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी थी।
असम में 610 सरकारी मदरसे
शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने बताया था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये खर्च करती है। उन्होंने कहा था कि राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा। सभी सरकारी मदरसे को उच्च विद्यालयों में तब्दील कर दिया जाएगा और वर्तमान छात्रों के लिए नया नामांकन नियमित छात्रों की तरह होगा। सरमा के मुताबिक संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाएगा।
मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा: भाजपा नेता
शिक्षा मंत्री ने बताया था कि संस्कृत स्कूलों के ढांचे का इस्तेमाल उन्हें भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद के शिक्षण एवं शोधन केंद्रों की तरह किया जाएगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष अमीनुल हक लश्कर ने कहा था कि निजी मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा। लश्कर ने नवंबर में कछार जिले में एक मदरसे की आधारशिला रखते हुए कहा था कि इन मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि इन्होंने मुस्लिमों को जिंदा रखा है।
असम में दो तरह के मदरसे संचालित
गौरतलब है कि असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं, एक सरकारी मान्यता प्राप्त वाले और दूसरे वो जो निजी संगठन चलाते हैं। सरकारी मदरसों को राज्य सरकार हर साल ग्रांट देती है, जबकि प्राइवेट मदरसे अपने खर्च पर संचालित होते हैं। सरकार ने सरकारी मदरसों को बंद करने का ऐलान किया था।