यादों में महाशय धर्मपाल गुलाटी, कई चुनौतियों को पार कर बने थे देश के मसाला किंग

Edited By Updated: 03 Dec, 2020 01:20 PM

rip dharmapala gulati

प्रसिद्ध मसाला कंपनी एमडीएच मसाला के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी इस दुनिया में नहीं रहे। वीरवार सुबह यानी आज के दिन उन्होंने अपनी आखिरी सांसे ली। मसाला किंग के नाम से मशहूर गुलाटी भले ही इस दुनिया को अलविदा बोल गए हाें लेकिन व्यापार और उद्योग में...

नेशनल डेस्क: प्रसिद्ध मसाला कंपनी एमडीएच मसाला के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी इस दुनिया में नहीं रहे। वीरवार सुबह यानी आज के दिन उन्होंने अपनी आखिरी सांसे ली। मसाला किंग के नाम से मशहूर गुलाटी भले ही इस दुनिया को अलविदा बोल गए हाें लेकिन व्यापार और उद्योग में उनके द्वारा दया गया योगदान देश कभी भूला नहीं सकता। आज लोग उन्हे एक ईमानदार, हुनरमंद, समाजसेवी, बच्चों से प्रेम करने वाले और विनोद प्रिय व्यक्ति के रूप में याद कर रहे हैं। जानिए मसाला किंग के MDH के मालिक बनने की पूरी कहानी:-

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पाकिस्तान में भी करते थे मसालों का काम 
पाकिस्तान के सियालकोट में 27 मार्च 1923 को जन्मे धर्मपाल का जीवन संघर्ष भरा रहा। सिर्फ पांचवी तक पढ़ाई की। पाकिस्तान में हार्डवेयर का काम करते थे लेकिन चोट लगने पर उसे छोड़ दिया और घूम-घूम कर मेहंदी बेचने का काम किया। फिर अपने पिता के साथ पाकिस्तान में ही मसाले का काम शुरू किया लेकिन बंटवारे में सब कुछ खत्म हो गया। 

 

कभी तांगा चलाते थे महाशय
महाशय धर्मपाल गुलाटी बंटवारे के बाद पाकिस्तान के सियालकोट से भारत के अमृतसर आ गए थे। यहां मन नहीं लगा, जिसके बाद बड़े भाई और रिश्तेदारों के साथ दिल्ली आ गए। काम-धंधा न मिला तो तांगा चलाने लगे लेकिन इससे भी वह  ऊब गया। मन मसालों के पुराने कारोबार के लिए प्रेरित करता था। फिर उन्होंने अजमल खां रोड पर खोखा बनाकर दाल, तेल, मसालों की दुकान शुरू कर दी। तजुर्बा था, इसलिए काम चल निकला। 

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1959 में रखी MDH फैक्ट्री की नींव
कुछ समय बाद दिल्ली में नौ फुट बाई चौदह फुट की दुकान खोली और अपने पुश्तैनी कारोबार मसाले का काम शुरू किया। महाशय धर्मपाल ने 1959 में एमडीएच फैक्ट्री की नींव रखी थी। लंदन-दुबई में भी इनका कारोबार है। आज इनके मसालों की देश ही नहीं विदेश में भी काफी धूम है। दुनिया भर के कई शहरों में महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) के ब्रांच हैं।

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महाशय  जी को पहलवानी करना  भी था खूब पसंद 
दिलचस्प बात है कि  धर्मपाल गुलाटी  दिल्ली के करोलबाग में नंगे पांव ही जाते थे क्योंकि वो इस जगह को अपना मंदिर मानते थे क्योंकि इसी जगह से उन्हें बिजनेस की दुनिया में एक बड़ी पहचान मिली थी। अपनी इन बातों का जिक्र धर्मपाल गुलाटी ने अपनी आत्मकथा में भी किया था। धर्मपाल गुलाटी को पतंग उड़ाना, पहलवानी करना, कबूतरबाजी करना पसंद था। करीब 940 करोड़ के मालिक धर्मपाल गुलाटी क्रिसलर लिमो कार से घूमा करते थे, उन्हें पंजाबी व्यंजन बहुत ज्यादा पसंद थे।
 

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