सोना-चांदी नहीं... अब यह धातू बनने जा रहा है बाजार का नया 'किंग', एक्सपर्ट्स का बड़ा दावा

Edited By Updated: 23 Dec, 2025 04:10 PM

this metal is set to become the new king of the market experts make a big claim

साल 2025 में सोना और चांदी ने निवेशकों को रिटर्न दिए, लेकिन अब एक्सपर्ट्स का मानना है कि तांबा (Copper) अगला बड़ा निवेश विकल्प बनने वाला है। AI, इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रीन एनर्जी में बढ़ती मांग के कारण तांबे की जरूरत बढ़ रही है, जबकि सप्लाई सीमित...

नेशनल डेस्क : साल 2025 में सोना और चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। दोनों कीमती धातुएं लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं और निवेशकों को शानदार रिटर्न मिला है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले समय में सोना-चांदी नहीं, बल्कि एक और धातु बाजार का नया 'किंग' बनने वाला है और वह है तांबा (Copper)। विशेषज्ञों के मुताबिक, तांबे की कीमतों में बड़ा उछाल आने वाला है और इसके पीछे कई मजबूत कारण हैं।

तांबा क्यों बन रहा है अगला बड़ा निवेश?

अब तक तांबे को एक सामान्य औद्योगिक धातु माना जाता था, लेकिन मौजूदा हालात इसे भविष्य का बड़ा ट्रेडिंग और निवेश विकल्प बना रहे हैं। RKB Ventures के फाउंडर राकेश बंसल का कहना है कि तांबे की मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि इसकी सप्लाई लगातार घट रही है। उन्होंने बताया कि AI टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिफिकेशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) और ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन ने तांबे की जरूरत को कई गुना बढ़ा दिया है। आने वाले वर्षों में यही फैक्टर तांबे की कीमतों को नए स्तर पर ले जा सकते हैं।

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सप्लाई की कमी से बढ़ेंगी कीमतें

मार्केट रिपोर्ट्स के अनुसार, तांबे की सप्लाई में लगातार कमी देखी जा रही है। अनुमान है कि 2025 में तांबे की कमी करीब 1.24 लाख टन रह सकती है, जबकि 2026 में यह कमी बढ़कर 1.50 लाख टन तक पहुंच सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सप्लाई और डिमांड के इस अंतर की वजह से तांबे की कीमतों में लंबी अवधि की तेजी देखने को मिल सकती है।

बिजली, AI और EV सेक्टर से बढ़ी मांग

तांबा बिजली के बुनियादी ढांचे का अहम हिस्सा है। वायरिंग, पावर ग्रिड, इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग, डेटा सेंटर्स और इलेक्ट्रिक वाहनों में तांबे की भारी जरूरत होती है। AI के बढ़ते इस्तेमाल और भारत समेत कई देशों में नए डेटा सेंटर्स के निर्माण से तांबे की मांग और तेज हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि तांबे के बिना न तो AI का विस्तार संभव है और न ही ग्रीन एनर्जी का भविष्य।

भारत में सीमित उत्पादन

भारत में तांबे का उत्पादन भी सीमित है। देश में इसका प्रमुख उत्पादक हिंदुस्तान कॉपर है। सीमित घरेलू उत्पादन और बढ़ती वैश्विक मांग के चलते कीमतों पर दबाव और बढ़ सकता है।

'अब तांबे की बारी करोड़पति बनाने की'

एक्सपर्ट राकेश बंसल का कहना है कि जिस तरह 2025 में सोना और चांदी ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया, अब वैसा ही मौका तांबा दे सकता है। उनका मानना है कि तांबा भी अब एक सुरक्षित निवेश विकल्प बनता जा रहा है, क्योंकि इसकी मांग वास्तविक है और सप्लाई सीमित। EVs, ग्रीन एनर्जी और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर में इसकी जरूरत लगातार बढ़ रही है।

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ग्लोबल मार्केट में भी तांबे की तेजी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तांबे की कीमतों में मजबूती दिख रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेटा सेंटर्स और AI से जुड़ी बढ़ती मांग के कारण तांबा 12,000 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के करीब पहुंच सकता है। 2025 में अब तक तांबे की कीमतों में करीब 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो कई सालों में सबसे बड़ी तेजी मानी जा रही है। अनुमान है कि 2026 में वैश्विक तांबे की मांग 27 मिलियन टन तक पहुंच सकती है।


 

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