दुनिया का अनोखा गांव जहां सिर्फ महिलाओं का चलता है राज, पुरुषों की एंट्री पर है रोक

Edited By Updated: 01 Jun, 2025 02:29 PM

the world s unique village umoja where only women live

दुनियाभर में भले ही महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अधिकार दिए जाने की बात की जाती रही हो लेकिन कई जगहें ऐसी भी हैं जहाँ महिलाएँ अभी भी इस लड़ाई को लड़ रही हैं। पुरुष प्रधान समाज में महिलाएँ हर संभव तरीके से बाहर निकलकर खुलकर साँस लेने की कोशिश करती...

नेशनल डेस्क। दुनियाभर में भले ही महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अधिकार दिए जाने की बात की जाती रही हो लेकिन कई जगहें ऐसी भी हैं जहाँ महिलाएँ अभी भी इस लड़ाई को लड़ रही हैं। पुरुष प्रधान समाज में महिलाएँ हर संभव तरीके से बाहर निकलकर खुलकर साँस लेने की कोशिश करती हैं। यह स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कुछ और देशों में भी है। आज हम आपको दुनिया की एक ऐसी अनोखी जगह के बारे में बता रहे हैं जहाँ पर सिर्फ महिलाओं का राज चलता है और पुरुषों की एंट्री पूरी तरह बैन है।

उत्तरी केन्या का 'उमोजा' गांव 

उत्तरी केन्या के सैमबुरु काउंटी में स्थित एक गांव है 'उमोजा' जो बाहर से देखने पर काफी हद तक आदिवासी बस्तियों जैसा ही दिखता है लेकिन इस गांव और अन्य गाँवों में सिर्फ एक फर्क है - इस गांव में पुरुष नहीं हैं। यहाँ सिर्फ महिलाएँ रहती हैं और उन्हीं का राज चलता है। पुरुषों के लिए यहाँ प्रवेश वर्जित है।

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उमोजा गांव मुख्य रूप से उन महिलाओं का घर है जिन्होंने यौन हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना किया है और अक्सर इसी वजह से उनके परिवार वालों ने उन्हें छोड़ दिया था। इस गाँव में वे महिलाएँ भी रहती हैं जो बाल विवाह या महिलाओं के खतने (फीमेल म्यूटिलेशन) जैसी कुप्रथाओं से बचकर भाग निकली होती हैं। वर्तमान में इस गाँव में करीब 50 परिवार रहते हैं।

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महिलाओं के अधिकारों की पाठशाला

हालांकि गांव में रहने वाले परिवार के सदस्यों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण है। यह गांव अपने निवासियों को महिलाओं के अधिकार और लिंग आधारित हिंसा के बारे में शिक्षित करता है। यहाँ हर उम्र की महिलाएँ आकर रह सकती हैं और सुरक्षित महसूस कर सकती हैं।

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पितृसत्तात्मक समाज से आजादी

उमोजा में रहने वाली ज्यादातर महिलाएँ संबुरू संस्कृति की हैं। संबुरू एक पितृसत्तात्मक समाज है जहाँ बहुविवाह की प्रथा प्रचलित है और फीमेल म्यूटिलेशन भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। ऐसे में उमोजा गांव इन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय और पितृसत्तात्मक समाज के बंधनों से आजादी का प्रतीक बन गया है।

इस गांव का एक और अनोखा नियम है: किसी भी महिला के पुरुष बच्चे को सिर्फ 18 साल की उम्र तक ही गांव में रहने की इजाजत है। इसके बाद उसे गांव छोड़कर कहीं और जाकर रहना होता है।

उमोजा गांव महिलाओं के साहस, एकजुटता और आत्म-निर्भरता की एक मिसाल पेश करता है। यह दिखाता है कि कैसे महिलाएँ एक साथ आकर अपने लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन बना सकती हैं। 

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