Edited By vasudha,Updated: 08 Apr, 2021 12:22 PM
बाजार नियामक सेबी ने दो दशक पुराने मामले में जाने-माने उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी तथा अन्य व्यक्तियों एवं इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े मामले में अधिग्रहण नियमों का...
बिजनेस डेस्क: बाजार नियामक सेबी ने दो दशक पुराने मामले में जाने-माने उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी तथा अन्य व्यक्तियों एवं इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े मामले में अधिग्रहण नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है। जिन अन्य लोगों पर जुर्माना लगाया गया है, उनमें नीता अंबानी, टीना अंबानी, के डी अंबानी और परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं।
2005 में हो गया था मुकेश और अनिल कारोबार का बंटवारा
नीता मुकेश अंबानी की पत्नी है जबकि टीना अनिल अंबानी की पत्नी हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने 85 पृष्ठ के आदेश में कहा कि आरआईएल के प्रवर्तकों और पीएसी (मिली-भगत से काम करने वाले लोग) 2000 में कंपनी में 5 प्रतिशत से अधिक के अधिग्रहण के बारे में खुलासा करने में विफल रहे। मुकेश और अनिल कारोबार का बंटवारा कर 2005 में अलग हो गये थे। आदेश के अनुसार आरआईएल के प्रवर्तकों ने 2000 में कंपनी में 6.83 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। यह अधिग्रहण 1994 में जारी 3 करोड़ वारंट को परिवर्तित कर के किया गया था।
सेबी ने लगाया आरोप
सेबी के अनुसार आरआईएल प्रवर्तकों ने पीएसी के साथ मिलकर गैर-परिवर्तनीय सुरक्षित विमोच्य डिबेंचर से संबद्ध वारंट को शेयर में बदलने के विकल्प का उपयोग कर 6.83 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया। यह अधिग्रहण नियमन के तहत निर्धारित 5 प्रतिशत की सीमा से अधिक था। आदेश के इस मामले में उन्हें सात जनवरी, 2000 को शेयर अधिग्रहण की सार्वजनिक तौर पर घोषणा करने की जरूरत थी।
अलग-अलग देना होगा जुर्माना
पीएसी को 1994 में जारी वारंट के आधार पर इसी तारीख को आरआईएल के इक्विटी शेयर आबंटित किये गये थे। हालांकि सेबी ने पाया कि प्रवर्तकों और पीएसी ने शेयर अधिग्रहण के बारे में कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की। अत: उन्होंने अधिग्रहण नियमों का उल्लंघन किया। सेबी के नियमों के तहत प्रवर्तक समूह ने किसी भी वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत से अधिक वोटिंग अधिकार का अधिग्रहण किया है, उसके लिये जरूरी है कि वह अल्पांश शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश करे। सेबी ने कहा कि संबंधित लोगों और इकाइयों को जुर्माना संयुक्त रूप से और अलग-अलग देना है।