Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 May, 2025 11:13 AM

भारत के स्मार्टफोन बाजार में तेज बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी देश की अग्रणी स्मार्टफोन कंपनी रही श्याओमी अब मूल्य हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष 5 ब्रांडों से बाहर हो गई है। वहीं, Apple Inc. पहली बार भारत में मूल्य के आधार पर स्मार्टफोन बाजार की टॉप...
बिजनेस डेस्कः भारत के स्मार्टफोन बाजार में तेज बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी देश की अग्रणी स्मार्टफोन कंपनी रही श्याओमी अब मूल्य हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष 5 ब्रांडों से बाहर हो गई है। वहीं, Apple Inc. पहली बार भारत में मूल्य के आधार पर स्मार्टफोन बाजार की टॉप कंपनी बन गई है।
काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में श्याओमी की थोक मूल्य हिस्सेदारी गिरकर 5% रह गई है, जो 2024 की पहली तिमाही में 10% थी। अपने चरम पर 2020 की तीसरी तिमाही में यह हिस्सेदारी 19% तक पहुंच गई थी।
दूसरी ओर, Apple की थोक बिक्री में हिस्सेदारी 2025 की पहली तिमाही में 26% रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 20% थी। Apple ने इस दौरान Samsung, Vivo, Oppo और Xiaomi जैसे ब्रांडों को पीछे छोड़ते हुए पहली बार शीर्ष स्थान हासिल किया है। इन सभी प्रतिस्पर्धी ब्रांडों की हिस्सेदारी में औसतन 2-2% की गिरावट आई है।
शीर्ष ब्रांडों में हलचल, मोटोरोला और गूगल की हिस्सेदारी में इजाफा
2024 की पहली तिमाही में Samsung शीर्ष पर था, इसके बाद Apple, Vivo, Oppo और Xiaomi का स्थान था। 2025 की पहली तिमाही में केवल दो ब्रांड – मोटोरोला और गूगल ही ऐसे रहे, जिन्होंने अपनी बाजार हिस्सेदारी में इजाफा किया।
- Motorola की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 4% पर पहुंच गई।
- Google Pixel की हिस्सेदारी 1% से बढ़कर 2% हो गई।
- वहीं, प्रचार के बावजूद Nothing की हिस्सेदारी 1% पर ही टिकी रही।
बदलते ट्रेंड की वजह: प्रीमियम फोन और ईएमआई स्कीम
काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसंधान प्रमुख तरुण पाठक के मुताबिक, “कोविड के बाद भारत में प्रीमियम स्मार्टफोन लेने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। Apple, Samsung और Vivo जैसे ब्रांडों ने इस रुझान को पहचाना और ईएमआई व फाइनेंसिंग स्कीम के जरिये ग्राहकों तक पहुंचे। यही वजह है कि ये ब्रांड आगे निकल सके।” उन्होंने बताया कि इन ब्रांडों के लगभग 50% फोन फाइनेंस योजनाओं के तहत खरीदे गए।
श्याओमी की गिरावट पर पाठक ने कहा, “श्याओमी की छवि आम बजट वर्ग की है, जो फाइनेंसिंग स्कीम्स का कम इस्तेमाल करता है। यह इसकी हिस्सेदारी गिरने का बड़ा कारण है।”