Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Dec, 2025 11:22 AM

Pan Masala New Rule 2026 सरकार ने पान मसाला उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब पान मसाला के सभी पैकेटों—चाहे वे छोटे हों या बड़े—पर एमआरपी (MRP) और लीगल मेट्रोलॉजी रूल्स, 2011 के तहत दी जाने वाली सभी अनिवार्य जानकारियों को छापना होगा। यह...
बिजनेस डेस्कः सरकार ने पान मसाला उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब पान मसाला के सभी पैकेटों—चाहे वे छोटे हों या बड़े—पर एमआरपी (MRP) और लीगल मेट्रोलॉजी रूल्स, 2011 के तहत दी जाने वाली सभी अनिवार्य जानकारियों को छापना होगा। नया नियम 1 फरवरी 2026 से लागू होगा। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी (Packaged Commodities) सेकंड (अमेंडमेंट) रूल्स, 2025 की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके तहत सभी निर्माता, पैकर और आयातक इन नियमों का पूर्ण रूप से पालन करने के लिए बाध्य होंगे।
यह भी पढ़ें: MCX-Comex Gold Rate Today: सस्ता हुआ गोल्ड, चांदी में तेजी जारी
क्या बदला है?
पहले छोटे पैकेट, जैसे कि 10 ग्राम या उससे कम वजन वाले पाउच पर एमआरपी छापना जरूरी नहीं था। इन्हें लीगल मेट्रोलॉजी के नियम 26(a) के तहत छूट मिली हुई थी लेकिन अब यह छूट हटा दी गई है और पान मसाला के लिए नया विशेष नियम जोड़ा गया है। इसके बाद हर आकार के पैकेट पर एमआरपी और सभी आवश्यक जानकारियां शामिल करना अनिवार्य होगा।
MRP अनिवार्य क्यों?
सरकार के अनुसार, एमआरपी अनिवार्य करने का उद्देश्य पान मसाला पर लगने वाले जीएसटी की सही गणना और वसूली सुनिश्चित करना है, क्योंकि जीएसटी एमआरपी के आधार पर तय होता है। इससे जीएसटी काउंसिल के निर्णयों को प्रभावी रूप से लागू करने में मदद मिलेगी और टैक्स चोरी की संभावना भी कम होगी। सभी पैकेटों पर स्पष्ट कीमतें दिखाई देने से उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा, क्योंकि अब छोटे पैकेटों पर गलत या भ्रामक कीमतें दिखाने का जोखिम समाप्त हो जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव से उपभोक्ता अधिक पारदर्शिता के साथ सही कीमत पर खरीदारी कर सकेंगे।
यह भी पढ़ें: कमजोर शुरुआत के बाद सेंसेक्स-निफ्टी में तेजी, रुपया ऑल टाइम लो पर
वर्तमान में पान मसाला और तंबाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है। इसके अलावा, इन उत्पादों पर अलग-अलग दर से कंपनसेशन सेस भी लगता है, जिसे 31 मार्च 2026 तक चार वर्षों के लिए बढ़ाया गया है। इस सेस से प्राप्त राशि का उपयोग केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 के दौरान राज्यों को हुए जीएसटी नुकसान की भरपाई के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने में किया जा रहा है।