Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Sep, 2023 02:21 PM
अधिकतर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि राजनीतिक तथा वित्तीय अस्थिरता के बीच आने वाले वर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, जबकि 90 प्रतिशत से अधिक अर्थशास्त्री दक्षिण एशिया खासकर से भारत में मध्यम या मजबूत वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं। एक...
नई दिल्लीः अधिकतर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि राजनीतिक तथा वित्तीय अस्थिरता के बीच आने वाले वर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, जबकि 90 प्रतिशत से अधिक अर्थशास्त्री दक्षिण एशिया खासकर से भारत में मध्यम या मजबूत वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की नवीनतम ‘चीफ इकोनॉमिस्ट आउटलुक' रिपोर्ट के अनुसार, देश में रियल एस्टेट बाजार में मुद्रास्फीति कम होने और नरम रुख के संकेतों से चीन के लिए संभावनाएं कम हो गई हैं। दुनिया राजनीतिक और वित्तीय अस्थिरता से जूझ रही है।
करीब 10 में से छह का मानना है कि वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की दिशा में प्रगति को कमजोर कर देगा, जबकि 74 प्रतिशत का कहना है कि भू-राजनीतिक तनाव का भी यही असर होगा।
डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा, ‘‘मुख्य अर्थशास्त्रियों की नवीनतम राय वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोरी की ओर इशारा करती है।'' उन्होंने कहा कि यह विकासशील देशों के सामने आने वाली तत्काल चुनौतियों...सीमा पार निवेश तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
वहीं डब्ल्यूईएफ के अनुसार, ‘‘90 प्रतिशत से अधिक लोगों को इस वर्ष दक्षिण एशिया खासकर भारत में मध्यम या मजबूत वृद्धि की उम्मीद है। क्षेत्र में मजबूत वृद्धि की उम्मीद करने वालों की हिस्सेदारी पिछले सर्वेक्षण में 36 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई।'' अमेरिका में मई के बाद से स्थिति मजबूत हुई है, 10 में से आठ उत्तरदाताओं को अब 2023 और 2024 दोनों में मध्यम या मजबूत वृद्धि की उम्मीद है।