रेयर अर्थ मेटल क्या है, जिनके दम पर चीन बना भारत की मुश्किलों की वजह?

Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Jun, 2025 12:17 PM

what are rare earth metals china has become reason for india s problems

चीन ने छह प्रमुख रेयर अर्थ (दुर्लभ खनिज) मैग्नेट्स के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला में हलचल मच गई है। चीन के इस कदम से भारत की ऑटो इंडस्ट्री भी संकट में आ गई है। चीन के इस फैसले से भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन (EV)...

बिजनेस डेस्कः चीन ने छह प्रमुख रेयर अर्थ (दुर्लभ खनिज) मैग्नेट्स के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला में हलचल मच गई है। चीन के इस कदम से भारत की ऑटो इंडस्ट्री भी संकट में आ गई है। चीन के इस फैसले से भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि इन खनिजों का उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर्स, बैटरियों और अन्य हाई-टेक उपकरणों में होता है।

चीन के फैसले से वैश्विक चिंता बढ़ी

चीन ने अप्रैल 2025 में 35 रेयर अर्थ मिनरल्स की निर्यात मंजूरी को निलंबित कर दिया था। इसके तहत कंपनियों के नए एक्सपोर्ट लाइसेंस को मंजूरी नहीं दी गई। प्रभावित कंपनियों में कॉण्टिनेंटल और बॉश इंडिया जैसी ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनियां शामिल हैं, जो इन खनिजों को चीन से आयात करती हैं। हालांकि कंपनियों को फिर से आवेदन करने का विकल्प दिया गया है लेकिन प्रक्रिया की अनिश्चितता और देरी से इंडस्ट्री में तनाव बना हुआ है।

90% रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन अकेले चीन करता है

गाड़ियों के इलेक्ट्रिक कंपोनेंट्स में इस्तेमाल होने वाले 90% से अधिक रेयर अर्थ मैग्नेट्स चीन में ही बनते हैं। इन मैग्नेट्स का उपयोग सिर्फ ऑटो सेक्टर तक सीमित नहीं, बल्कि डिफेंस सिस्टम, क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी, विंड टर्बाइन्स और स्मार्टफोन जैसे क्षेत्रों में भी होता है। ऐसे में चीन की ओर से सप्लाई रुकना, ग्लोबल तकनीकी सप्लाई चेन पर भी असर डाल सकता है।

कैसे बनी चीन की मोनोपॉली?

रेयर अर्थ इंडस्ट्री में चीन का दबदबा पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ा है। एक समय पर अमेरिका जैसे देशों में भी बड़ी खदानें थीं लेकिन पर्यावरणीय और आर्थिक वजहों से इन्हें बंद करना पड़ा। मसलन, अमेरिका की कैलिफोर्निया स्थित माउंटेन पास माइन 2002 में बंद कर दी गई थी, जिससे चीन को वैश्विक लीडर बनने का अवसर मिला।

चीन ने इस क्षेत्र को रणनीतिक रूप से अहम सेक्टर माना और इसमें भारी निवेश किया, जिससे वह न सिर्फ इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक बल्कि वैश्विक रिफाइनिंग हब भी बन गया।

भारत भी खोज रहा है विकल्प

इस चुनौती से निपटने के लिए भारत ने भी रेयर अर्थ मिनरल्स के घरेलू भंडार को विकसित करने की दिशा में कदम उठाए हैं। खनन नीतियों और अधिनियमों में बदलाव कर इन खनिजों की खोज और निष्कर्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत वैकल्पिक स्रोतों और घरेलू उत्पादन को लेकर तेजी से काम कर रहा है।
 
 

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