जब-जब बढ़ा भारत-पाकिस्तान तनाव, कैसा रहा शेयर बाजार का हाल?

Edited By Updated: 07 May, 2025 10:27 AM

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भारतीय सेना के तीनों अंगों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बुधवार को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कुल 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई पहलगाम अटैक के जवाब में हुई, जिसमें 26 भारतीय पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और...

बिजनेस डेस्कः भारतीय सेना के तीनों अंगों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बुधवार को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कुल 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई पहलगाम अटैक के जवाब में हुई, जिसमें 26 भारतीय पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और जांच में इसका सीधा संबंध पाकिस्तान से पाया गया।

पाकिस्तान का शेयर बाजार धड़ाम

इस हमले के बाद पाकिस्तानी शेयर बाजार बुरी तरह हिल गया। सिर्फ दो हफ्तों में इंडेक्स में लगभग 7,500 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई। कंपनियों जैसे Luck, Engro और UBL के शेयरों में बड़ी गिरावट आई।

भारतीय शेयर बाजार रहा स्थिर

तनाव के माहौल के बावजूद भारतीय शेयर बाजार ने मजबूती दिखाई। सेंसेक्स और निफ्टी में मामूली उतार-चढ़ाव के साथ बाजार स्थिर बना रहा, जिससे निवेशकों का विश्वास बरकरार रहा।

ऐतिहासिक विश्लेषण: भारत-पाक तनाव और शेयर बाजार

भारत और पाकिस्तान के बीच जब-जब सैन्य तनाव या आतंकी घटनाएं हुई हैं, उस दौरान भारतीय शेयर बाजार ने पहले कुछ दबाव जरूर झेला लेकिन जल्दी ही खुद को संभाल लिया। आइए ऐसे प्रमुख मौकों पर शेयर बाजार की प्रतिक्रिया पर एक नजर डालते हैं:

2019 (पुलवामा हमला):

14 फरवरी से 1 मार्च के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1.8% की गिरावट दर्ज की गई थी।

2016 (उरी हमला और सर्जिकल स्ट्राइक):

18 से 26 सितंबर के दौरान बाजार में लगभग 2% की गिरावट देखने को मिली थी।

2001 (संसद हमला):

इस घटना के बाद सेंसेक्स 0.7% और निफ्टी 0.8% तक गिरा लेकिन बाजार ने जल्द ही रिकवरी कर ली।

2008 (मुंबई आतंकी हमला):

26 नवंबर को हमले के तुरंत बाद सेंसेक्स में करीब 400 अंकों की गिरावट आई, हालांकि निफ्टी ने 100 अंकों की बढ़त के साथ लचीलापन दिखाया।

1999 (कारगिल युद्ध):

तीन महीने तक चले युद्ध के दौरान शेयर बाजार में सिर्फ 0.8% की मामूली गिरावट दर्ज हुई, जो बाजार की स्थिरता को दर्शाता है।

आर्थिक असर सीमित क्यों?

2024 के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान भारत के कुल निर्यात में सिर्फ 0.5% का हिस्सा रखता है। इसीलिए जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो उसका सीधा और गहरा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ता।

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